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अंबा में धूमधाम से मनाया गया भाई दूज का त्योहार

कुटुंबा संवादाता राहुल कुमार

अम्बा(औरंगाबाद) भाई-बहन के स्नेह व सौहार्द का प्रतीक त्योहार भाई दूज अंबा के विभिन्न मोहल्लों में मनाया गया। कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाए जाने वाले पर्व भैयादूज का दिन कई क्षेत्रों में ‘गोधन’ के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन बहन अपने भाइयों को ‘शाप’ (श्राप) देकर उनकी मंगलकामना करती हैं। मान्यता है कि इस शाप से भाइयों को मृत्यु का डर नहीं होता है।दीपावली के दो दिन बाद मनाया जाने के कारण इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन यम देव की पूजा भी की जाती है।भाई दूज पर बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर उनकी लंबी और सुखी जीवन की प्रार्थना करती हैं वही भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।
भाई दूज का त्योहार देशभर में 16 नवंबर 2020 यानी सोमवार को मनाया गया है। भाई दूज हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस दिन बहनें व्रत, पूजा और कथा आदि करके भाई की लंबी आयु और समृद्धि की कामना करते हुए माथे पर तिलक लगाती हैं। इसके बदले भाई उनकी रक्षा का संकल्प लेते हुए तोहफा देता है
आचार्य लाल मोहन शास्त्री ने बताया कि इस दिन भाई-बहन का यमुना में डुबकी लगाना शुभ होता है। आज बहनें भाई के माथे पर चंदन, काजल व हल्दी का टीका लगा कर उसकी लंबी आयु की कामना करेंगी। इस दिन भाइयों को माखन-मिश्री खिलाना चाहिए। गोधन के मौके पर बहन द्वारा भाइयों को जी भर कर कोसा जाता है और गालियां दी जाती है, यहां तक की भाइयों की मृत्यु हो जाने का भी शाप दिया जाता है। इस क्रम में ‘रेंगनी’ (एक प्रकार का पौधा) के कांटों को बहनें अपनी जीभ में चुभाती हैं। इस क्रिया को ‘शापना’ कहा जाता है। इस पर्व में कई महिलाएं एक ही स्थान पर एकत्रित होकर गोधन कूटती हैं। गोधन पर्व करने वाली सभी उम्र की महिलाएं होती हैं। इस दिन मोहल्ले में एक घर के बाहर महिलाओं द्वारा सामूहिक रूप से गोबर से चौकोर आकृति बनाई जाती है, जिसमें यम और यमी की गोबर की ही प्रतिमा बनाई जाती है। इसके अलावा सांप, बिच्छु आदि की आकृतियां भी बनाई जाती हैं। प्रारंभ में वहां एकत्र हुई मोहल्ले की महिलाएं इसकी पूजा करती हैं और फिर इन्हें डंडे से कूटा जाता है । गाली देकर बचाई थी अपने भाई की जान एक कथा है कि मृत्यु के देवता यम को पत्नी ने ऐसी व्यक्ति की जान लेने को कहा जिसको कभी किसी ने शापित नहीं किया हो। यह बात एक मिट्टी के बर्तन बनाने वाली महिला ने सुना जिसने अपने भाई को कभी गाली नहीं दी थी। यमराज ने भी उसी की जान लेने की सूची सोची। उस महिला ने अपने भाई को गालियां दी तब जाकर उसकी जान बची।
*इस लिए नाम पड़ा गोधन:*
आचार्य पंडित लाल मोहन शास्त्री के अनुसार राधा का विवाह गोधन नामक व्यक्ति से तय कर दिया गया था।परंतु राधा भगवान श्री कृष्ण से प्रेम करती थी। कृष्ण व गोधन ने आपस मे तय किया कु जो व्यक्ति इस गोबर पर्वत को उछल कर पार कर जाएगा उसी के साथ राधा का विवाह होगा।गोधन जैसे हीं पर्वत करने के लिए उछले की गोबर पर्वत में धंस गए।गोपियाँ उन्हें लाठी इत्यादि से कूट दिए ।उसी दिन से उसका नाम गोधन पड़ा। प्रथम पुरूष की होती है पूजा:कायस्थ जाति के लोग इस दिन अपने कुल के प्रथम पुरुष चित्रगुप्त की विधिवत पूजा करते हैं।कलम दवात और बही की गन्धोपचार से पूजा की जाती है।

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