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उत्तर प्रदेशसीतापुर

आबकारी निरीक्षक बिसवा की सरपरस्ती में मानक विहीन चल रही शराब की दुकानें

मुख्यमंत्री आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे आबकारी निरीक्षक अरुण कुमार

अजय सिंह ब्यूरो चीफ सीतापुर

सीतापुर। जहां उत्तर प्रदेश प्रदेश मुखिया की कड़े दिशा निर्देश तो वही उन्हीं निर्देशों की किस तरीके से जनपद में जिम्मेदार धज्जियां उड़ा रहे हैं जिन भी देखने पर बखूबी दिखाई पड़ रहा है कि सरकार के मानक कुछ और हैं लेकिन काम कुछ और हो रहा है। बताते चलें अगर शासनादेश की ओर निगाह की जाए तो शासनादेश की गाइड लाइन के विपरीत ही काम हो रहा है लेकिन जिम्मेदार इस बात को नजरअंदाज कर रहे हैं और शायद वहां से मोटी रकम आ रही है इसकी भी चर्चाएं खूब हो रही हैं कि जब दिया जा रहा है तो काम तो उसी तरीके से होगा जैसा खर्चा वैसा चर्चा जब जिम्मेदारों तक हफ्ता पहुंच रहा है तो कार्यवाही ना होना लाजमी है हालांकि इस तरीके की चर्चाएं काफी हो रही है लेकिन इन पर अधिकारियों का कितनी निगाह जा रही है वह तो जहां जाया जाए वहां देखने को मिल जाता है बताते चलें कि इन दिनों आबकारी विभाग के वरिष्ठ अधिकारी आबकारी निरीक्षक बिसवां अरुण कुमार काफी चर्चित हो रहे हैं बताते हैं कि इनका नाम भ्रष्ट अधिकारियों में शुमार हो रहा है क्योंकि शराब ठेकों से वसूली चल रही है अगर ऐसा नहीं है तो ठेकेदारों पर कार्यवाही क्यों नहीं हो रही है जबकि वह शासन की विपरीत गाइडलाइन के काम कर रहे हैं उसके बावजूद भी शासनादेशों की धज्जियां उड़ाते हुए उन पर कोई भी कार्रवाई अमल में नहीं लाई जा रही है ।
जबकि शासनादेश है कि जनपद में सारी अंग्रेजी शराब की दुकानों को कमरो में ही चलना चाहिए, इसके लिए जिला आबकारी अधिकारी सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं पर इसकी धड़ल्ले से बिक्री हो रही है और साथ ही कमरे में ही शराब पिलाई जा रही है और जिस तरीके से नियमावली उसके विपरीत काम हो रहा है और कमरों के बाहर निकल कर भी शराब पीने में मस्त हैं लेकिन इसके बावजूद भी जब तहकीकात की गई तो पता चला की सब चलता है जिसके चलते यह सब हो रहा है और नियम विपरीत होने के बाद भी सब कुछ लीगल माना जा रहा है।
बताते चलें कि जिस तरीके से शराब की दुकानें चल रही हैं उनमें नियमों का पालन नहीं हो रहा है और सारे नियमों को ताक पर रखकर कार्य किया जा रहा है लेकिन आबकारी निरीक्षक बिसवां अरुण कुमार आखिर इन सब से अनभिज्ञ कैसे हैं? तो चर्चा है कि आबकारी निरीक्षक को बाकायदा मोटी रकम भेंट के रूप में दी जा रही है जिसके चलते उनकी आंखें बंद है और सारा कुछ आंखों के सामने हैं लेकिन कार्रवाई करने से अधिकारी कतरा रहे हैं। कोरोनावायरस का दौर चल रहा है लेकिन बताते चलें कि जो कोरोनावायरस की गाइड लाइन है उसका पालन भी नहीं हो रहा है जिससे कि शराब पीने वाले भी खतरों से खेल रहे हैं और इस पर जिम्मेदार आबकारी निरीक्षक बिसवां अरुण कुमार की नजरअंदाजी खतरे को दावत देती हुई नजर आ रही है। देखना आगे होगा कि आखिर इस मामले में उच्च स्तर से कोई कार्रवाई होगी या फिर मामला इसी तरीके से चलता रहेगा फिलहाल तो जिस तरीके से आबकारी निरीक्षक बिसवां अरूण कुमार की चर्चाएं हो रही हैं वह काफी संदेहास्पद है और इस पर दुकानों पर खुलेआम शराब पिलाना इसका सबसे बड़ा उदाहरण दिखाई पड़ रहा है और इस पर तो चर्चा यह भी है कि आबकारी निरीक्षक बिसवां पर कठोर कार्यवाही तो होनी ही चाहिए।
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जिला आबकारी अधिकारी के खास बन,चर्चा होती है वसूली
सीतापुर। एक तरफ जहां नियम विपरीत शराब की दुकानों पर शासन की गाइडलाइन से परे रखकर काम किया जा रहा है। तो वहीं इसकी दूसरी ओर जो पहलू चर्चित हो रहा है वह भी आश्चर्यचकित करने वाला है। बताते चलें कि यह पहलू है जिला आबकारी अधिकारी सुनील दुबे के नाम का बताते हैं कि यहां पर दबी आवाज में चर्चा हो रही है कि इन नियमों को परे रखकर काम करने के लिए वसूली हो रही है और इस वसूली को कोई और नहीं जिला आबकारी अधिकारी सुनील दुबे के नाम से वसूला जाता है ।और यह पूरा कहते हैं कि एक टैक्स है आबकारी विभाग का जो सभी को देना पड़ता है। जिसकी जैसी दुकान उसका पैसा खर्च जिससे की धन कमाने में आसानी होती और नाम जिला आबकारी अधिकारी का ले लिया जाता है जिससे धन वसूली में भी कोई समस्या नहीं आती है। हालांकि मामला क्या है क्या नहीं है वसूली होती है या नहीं इसके तो कोई प्रमाण साक्ष्य नहीं मिले लेकिन जिस तरीके से दुकानों का चलन जनपद में हो रहा है यह अपने आप में यह प्रदर्शित कर रहा है कि चलता है भी या नहीं जो आपकारी विभाग का चरित्र स्वत: उजागर कर रहा है।
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आरोपों का सिलसिला आबकारी विभाग पर नहीं है नया
कच्ची शराब कारोबारियों को संरक्षण देने के आरोप हमेशा से विभाग पर लगते हैं और साथ ही आबकारी निरीक्षक बिसवां अरुण कुमार पर भी आरोप लगे हैं की नियम विपरीत दुकानों को चलाने में आबकारी निरीक्षक का भरपूर सहयोग है।भले ही विभाग को कमीशन मिल रहा हो लेकिन नाम विभाग का और जिला आबकारी अधिकारी सुनील दुबे का बदनाम हो रहा है, लोग यह चर्चा कर रहे हैं कि आबकारी निरीक्षक बिसवां अरुण कुमार की धुआंधार वसूली चल रही है और यही वसूली का बड़ा हिस्सा ऊपर जिला आबकारी अधिकारी तक भी जाता है।

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