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सुहागिनों का महापर्व हरितालिका तीज व्रत कल

संवाददाता—मो०शमशाद आलम

करगहर ––लॉकडाउन में हरितालिका तीज शुक्रवार को हर्षोल्लास पूर्ण माहौल में धूमधाम से मनाने को लेकर तैयारी जिला सहित प्रखंड में चल रही है। इस पर्व को लेकर गांव व कस्बाई इलाको से लेकर प्रमुख बाजारों में काफी चहलकदमी बढ़ गया है। गुरूवार के दिन घर घर मिष्ठान पकवान बनाया गया। लगे लॉक डाउन में बड़े वाहनों का परिचालन ठप होने के उपरांत भी लोग हरतालिका तीज की सामग्री लेकर अपने विवाहित पुत्रियों एवं पुत्र वधु को पहुचाने के लिए पूरे दिन व्यस्त नजर आये। हरतालिका तीज जो महिलाओं का बेहद कठिन व्रत माना जाता है। क्‍योंकि इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जल रह कर सौभाग्‍यवती रहने का वरदान प्राप्‍त करती हैं। इस व्रत को कुंवारी कन्‍याओं से लेकर सुहागिन महिलाएं भी रखती हैं। तीज के व्रत को लेकर पुराणों के कई नियम बताए गए हैं। भादो मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज का यह त्योहार मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं सोरहो श्रृंगार एवं नये नये परिधानों से सुसज्जित होकर सुहाग की लंंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं और पूजन करती हैं। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहली बार मां पार्वती ने भगवान शंकर के लिए किया था। जिसके बाद मां पार्वती को पति के रूप में भगवान शंकर प्राप्त हुए। इस दिन महिलाओं को क्रोध नहीं करना चाहिए। मन में गुस्‍से को शांत करने के लिए महिलाएं हाथों में मेंहदी लगाती है क्‍योंकि यह उनके दिमाग को शांत रखने में मदद करती है। मान्‍यता है कि यदि व्रत रखने वाली महिला रात में सो जाती है तो वह अगले जन्‍म में अजगर के रूप में जन्‍म लेती है। यदि इस दिन व्रत रखने वाली महिला गलती से भी कुछ खा या पी ले तो वह अगले जन्‍म में वानर बन जाती है। इसलिए इस दिन निर्जल रहना चाहिए। वे लड़कियां या महिलाएं इस दिन व्रत नहीं रखती वे अगले जन्‍म में मछली बन जाती हैं और यदि गलती से भी वे मांस मछली का सेवन कर लें तो उन्‍हें कठोर श्राप मिलता है। हरतालिका व्रत का महत्‍व जानते हुए भी यदि कोई लड़की या सुहागन जान कर दूध पी ले तो वह अगले जन्‍म में सर्प योनि में जन्‍म लेती है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने से माता पार्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है और पति को लंबी आयु और यश तथा प्रतिष्ठा की प्राप्ति होती है। शास्त्रों के मुताबित हरतालिका तीज पर खानपान में कुछ सावधानियां भी बताई जा रही है। व्रतियों का मानना है कि इस कठिन व्रत के अनुष्ठान से पूर्व एक दिन पहले प्रात: सिर धोकर स्नान करने के बाद भोजन बनाएं तथा प्याज और लहसून का सेवन न करे। किसी का जूठा या बासी खाना ना खाएं। मांस मदिरा भी ना खाएं।भोजन में लौकी और चने की दाल खाई जाती है। इस दिन उबले हुए चावल खाते हैं। पूरी तरह ब्रह्मचर्य का पालन करना है। फिलहाल त्योहार को लेकर हर तरफ तैयारी जोरशोर से चल रहा है।

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