रिपोर्ट:-बलराम कुमार सुपौल बिहार
सुपौल जिला के त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय मुख्यालय क्षेत्र अंतर्गत पिलवहा पंचायत के वार्ड नं0 4, में रहनेवाले सैकड़ों महादलित गरीब मजदूर महिला एवं पुरुषों की है।
महादलित गरीब मजदूरों ने बताया की हमलोग भूमिहीन महादलित गरीब मजदूर हैं।
हमलोगों को सरकार द्वारा सरकारी जमीन दिया गया है।
लेकिन हमलोग सैकड़ों गरीब महादलित मजदूर आज कई वर्षों से बरसात के समय में जिल्लत भड़ी जिंदगी जीते आ रहे हैं।
क्योंकि बरसात के समय में सड़क नहीं रहने से चारों तरफ पानी ही पानी लगा रहने से हमलोग महिला, पुरूष, बूढ़े वुजुर्ग,छोटे छोटे बच्चे,घर से बाहर नहीं निकल पाते हैं।
चारों तरफ जलमग्न रहने से साँप, कीड़ा, बिच्छू, काटने का डर बना रहता है।
वहीं जब किसी की तबियत खराब हो जाता है तो कोई डॉक्टर भी आने को तैयार नहीं होता है।
मजबूरी में बीमार को या गर्भवती महिलाओं को कांधा पर उठाकर पानी पार कर ले जाना पड़ता है।
उसमें भी गिरने पड़ने का डर सा लगा रहता है।
बरसात के समय में राशन लाना हो, या बाजार से सब्जी लाना हो,या घर का सामान लाना हो,या मजदूरी करने जाना हो, हरदम कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
बस्ती के चारों तरफ जल जमाव लगा रहने से छोटे छोटे बच्चे को पानी में डूबने का डर लगा रहता है।
वहीं ये भी बताया की सभी पदाधिकारियों को कई वर्ष पूर्व में ही आवेदन दिया जा चुका है।
लेकिन पदाधिकारी के कानों तक जूं भी नहीं रेंगती है।
पदाधिकारी आते हैं जाँच कर चले जाते हैं।
लेकिन जाँच सिर्फ कागजों तक हीं सिमट कर रह जाते हैं।
वहीं बस्ती में आज भी बिजली की तार बाँस बल्ली के सहारे चल रहा है।
बरसात के समय पानी लगा रहने के कारण कई महीने बीत जाने के बाद बिजली कर्मचारी बिजली बिल लेने आते हैं तब तक बहुत देर हो चुकी होती है।
बिजली का बिल इकठ्ठा होकर 5,से 6,हजार के करीब हो जाता है।
जो हम महादलित गरीब मजदूरों को एक बार मोटी रकम देने में कठिनाई भी होती है।
वहीं महादलित महिलाओं ने बताया की हमलोग कई वर्षों से जिल्लत की जिंदगी जी के परेशान हो चुके हैं।
अब हमलोग चाहते हैं की हम सभी लोंगों को सरकार थोड़ी जहर ला कर दे दें।
जहर पीकर सो जाएँगें।
जबकि 19,मई 2010,को बस्ती के सटे बगल में हमारे माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार, जी आगमन हुआ था।
क्योंकि विद्यालय का उद्घाटन समारोह करना था।
लेकिन क्या कहा जा सकता है आज तक परेशान हैं महादलित गरीब मजदूर।
अब पदाधिकारी की उदासीनता कहिं जाय।
या हमारे मुख्यमंत्री जी कुछ कमी रह गई हो पता हीं नहीं चल पाता है।
अब देखना लाजमी होगा की सुशासन बाबू के राज में महादलित गरीब मजदूरों की समस्या का हल हो पाता है या फिर कागजों में सिमट रह जाता है।
या बात को दबा दिया जाता है।
कैसे कष्ट में जी रहे हैं।
आइए सुनते हैं महादलित गरीब मजदूर महिला, एवं पुरुषों की जुबानी।