प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार
*कार्यकाल बढ़ाने का नियम नहीं था तो सरकार अध्यादेश ला सकती थी- सुरेन्द्र!*
पंचायतों का कार्यकाल 6 माह बढ़ाये की मांग को सिरे से खारिज कर पंचायतों को भंग किए जाने के भाजपा- जदयू के नीतीश सरकार के निर्णय के खिलाफ गुरूवार को भाकपा माले के कार्यकर्ताओं ने शहर के विवेक-विहार मुहल्ला में सरकार विरोधी प्रदर्शन किया. इस दौरान लाकडाउन प्रोटोकॉल का पालन करते हुए कार्यकर्ता अपने-अपने हाथों में झंडे, बैनर एवं मांगों से संबंधित तख्तियां लिए सरकार विरोधी नारे लगा रहे थे.
मौके पर जिला कमिटी सदस्य बंदना सिंह, सुनील कुमार समेत नीलम देवी, मो० सगीर, संजीत शर्मा, दीपक यदुवंशी, राजू कुमार झा, विवेक कुमार, स्तुति आदि उपस्थित थे.
अपने अध्यक्षीय संबोधन में भाकपा माले जिला स्थाई समिति सदस्य सुरेन्द्र प्रसाद सिंह ने कहा कि पंचायत का कार्यकाल 6 माह बढाये जाने के बजाय नौकरशाही का पंचायतों पर कब्जा जमाने की कोशिश की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा है कि बिहार की जनता की मांग को भाजपा-जदयू की बिहार सरकार ने अनसुना कर दिया है और नीतीश कुमार केंद्र सरकार की तरह तानाशाही चला रहे हैं. जनप्रतिनिधियों की भूमिका को कम करना इस भयावह दौर में आत्मघाती साबित होगा.
कोविड के प्रति जागरूरकता अभियान में पंचायत प्रतिनिधियों के अनुभव का बेहतर इस्तेमाल हो सकता था लेकिन सरकार ने इस पर तनिक भी ध्यान नहीं दिया. यदि पंचायतों के कार्यकाल बढ़ाने का कोई नियम नहीं था तो क्या सरकार अध्यादेश नहीं ला सकती थी. दरअसल, सरकार की मंशा ही कुछ और थी.
सरकार के इस निर्णय को माले नेता ने अलोकतांत्रिक निर्णय की संज्ञा देते हुए आंदोलन तेज करने की घोषणा की है.
बुधवार को इस आशय का प्रेस विज्ञप्ति जारी कर भाकपा माले जिला स्थाई समिति सदस्य सुरेंद्र प्रसाद सिंह ने जानकारी देते हुए कहा है कि जिले में पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा भी लाकडाउन का पालन करते हुए अपने-अपने घरों में धरना-प्रदर्शन करने की जानकारी मिली है.