रिपोर्ट:-बलराम कुमार सुपौल बिहार
सुपौल जिला के किसानों की है।
किसानों ने बताया की हमलोग पूरी मेहनत लगन से खेती करते हैं।
लेकिन अनाज का सही कीमत नहीं मिल पाता है।
एक तरफ किसानों को अन्य के दाता कहते हैं।
तो वहीं दूसरी तरफ किसनों के साथ सौतेला व्यवहार क्यों किया जाता है।
किसानों ने बताया की खेती करने में जितनी जी तोड़ मेहनत लगती है।
खर्च लगती है।
हमलोगों को घर से घाटा लग जाता है।
किसानों का जब अनाज तैयार होता तो बाजार में सही कीमत नहीं रहती है।
सरकार द्वारा भी जब अनाज लिया जाता है तब बहुत देर हो चुकी होती है।
तब तक आधे से ज्यादा किसान अपनी जरूरत पूरा करने के लिए अनाज ओने पोने दामों में बेच दिया करते हैं।
क्योंकि किसानों को दूसरा कोई सहारा नहीं है।
किसानों ने ये भी बताया की पैक्स में धान समय से नहीं खरीदा जाता है।
और नाहीं समय से किसानों को रुपया मिल पाता है।
गेंहू, मक्का, अनाज पैक्स में नाहीं तो लेता है नाहीं तो सही कीमत लगाया जाता है।
किसानों की माँग है,कि सरकार किसानों की फसल तैयार होने से पहले समय पर सरकार सही कीमत से अनाज खरीद करे एवं समय पर किसानों को अनाज के रुपए दिया करे क्योंकि किसानों के पास और कोई आमदनी का श्रोत नहीं है।
सभी कार्य किसानों की फसल पर हीं निर्भर करता है।
क्योंकि बच्चों की पढ़ाई हो,या घर का सामान हो,या और भी कई प्रकार के कार्य हैं।
जब अनाज उगाने का मालिक किसान को है।
तो अनाज का कीमत लगाने का भी किसान का होना चाहिए।
क्योंकि जब कोई भी कंपनी बाजार में सामान बेचता है तो कंपनी कीमत तय करती है।
जब अनाज उगाने का मालिक किसान है।
तो अनाज का कीमत तय करने का हक किसान को ही देना चाहिए।
ना की खरीददारों की।
या तो सरकार को समय के अनुसार अनाज का सही कीमत तय करे।
अब देखना लाजमी होगा किसानों को किसानी का हक कब तक मिल पाता है।