सासाराम ।आजकल बिजली गिरने से लोग मौत के शिकार हो रहे हैं।ग्रामीण इलाकों में हजारों लोगों की आकाशिय बिजली जिसे तड़ित भी कहते हैं से जान जा सकती है।आये दिन मीडिया में यह खबर सुर्खियों में रहती है कि बिजली गिरने से लोगों की जान चली गयी।यह असावधानी का नतीजा ह।बारिस या मॉनसून में बिजली कड़कना या गिरना आम बात है।इससे बचने के लिए स्वयं की सावधानी ही जान बचा सकती है।हालांकि आपदा बिभाग द्वारा लोगो को जागरूक करने के लिये प्रत्येक वर्ष प्रचार प्रसार कराया जाता है।लेकिन लोग बारिश के दौरान पेड़ के नीचे छुप जाते हैं।जिससे आकाशिय बिजली की चपेट में वे आ जाते हैं।जानकार बताते हैं कि आसमान में विपरीत एनर्जी के बादल हवा से उमड़ते-घुमड़ते रहते हैं।ये विपरीत दिशा में जाते हुए आपस मे टकराते हैं।इससे होने वाले घर्षण से बिजली पैदा होती है और वह धरती पर गिरती है।आसमान में किसी तरह का कंडक्टर न होने से बिजली धरती पर कंडक्टर की तलाश में पहुच जाती है।जिससे नुकसान पहुँचता है।घरती पर पहुचने के बाद बिजली को कंडक्टर की जरूरत पड़ती है।कोई भी बिजली गिरना व कड़कना नही रोक सकता लेकिन कुछ सावधानियां बरत कर कम से कम इससे होने वाले नुकसान को काफी हद तक कम जरूर किया जा सकता है।आंधी तूफान आते ही घर मे रखे टीबी, रेडियो,कंप्यूटर,सहित सभी का मॉडेम और बिद्युत प्लग निकाल देना चाहिए।घर मे तड़ित आघात (एक प्रकार का एंटीना ) लगवाना चाहिए।हरे पेडों, मोबाइल टावर, बिजली के तारो ,खम्भों से दूर हट जाना चाहिए।आसमान के नीचे होने पर हाथों को कानो पर रख लेना चाहिये ताकि बिजली की तेज आवाज से कान के पर्दे न फट जाय। कुल मिलाकर बादल देखते ही सतर्कता जरूरी है।सावधानियां बरत कर जान बचाई जा सकती है।
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