रोहतास ।आत्महत्या किसी समस्या का हल नही है।बल्कि परिस्थितियो से मुकाबला करने में है।चुनौतियों को स्वीकार करने व प्रतिबद्धता के साथ जुझारूपन दिखाने में है।अभी कुछ हीरो की मौत की खबर से उबरे भी न थे कि सुशांत राजपूत की आत्महत्या की खबर से लोग निराश हो गए।आत्महत्या समस्या से जूझते जीवन का अंत है न कि उसका समाधान।जिसके लिए वे मौत को गले लगाने के लिए मजबूर होते हैं।वास्तव में कोई भी दुख या तकलीफ जिंदगी से बढ़कर नही होती।हर व्यक्ति के जीवन मे ऐसा दौर आता है जब सबकुछ खत्म सा लगता है।लेकिन इसका कतई मतलब नही कि हम खुद ही खत्म हो जाये।जिंदगी कई बार इम्तिहान लेती है तो उसे लेने दीजिये और हौसले को बढ़ाकर रखिये।एक तिनका डूबते को सहारा होता है।अध्ययनों से पता चलता है कि अमूमन आत्महत्या की राह चुनने वाले लोग अवसाद एवम तनाव से ग्रसित होते हैं।ऐसे व्यक्ति मित्र व परिवार से दूरी बना लेते हैं।नतीजा यह होता है कि उनमे बिखराव की स्थिति उत्पन्न हो जाती है।टीवी संस्कृति के कारण परस्पर संवाद कम होने को भी इसकी वजह बताई जा रही है।बच्चो के साथ माता पिता का बात करने के लिए समय तक नही बचा है।भारत मे आत्महत्या की घटना लगातार बढ़ रही है।प्रति घन्टे एक छात्र आत्महत्या कर रहा है।
previous post