संवाददाता–मो०शमशाद आलम।
करगहर : राजस्थान, मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश के बाद टिड्डी दलों का हमला अब उत्तर प्रदेश से बिहार के सीमावर्ती जिलों में देखने को मिल रहा है। रोहतास जिला का करगहर प्रखंड में टिड्डी दलों ने दस्तक दे दी है, प्रखंड में इन दिनों किसान खरीफ़ फ़सल के अंतर्गत धान के बिछड़े तैयार कर रहे है। पर टिड्डी दलों के हमले ने उनकी परेशानी बढ़ा दी है। अधिकांश किसान रोहिणी नक्षत्र में ही धान की नर्सरी डाल चूके है। बीज डाले इन्हे एक सप्ताह से उपर हो गया है। बिछड़े अब हरे होने लगे है। लेकिन किसान टीड्डीयों के प्रकोप से परेशान हैं। हरे बिछड़े पर इन दिनों इनका प्रकोप इतना बढ़ गया है कि किसान इसको लेकर काफी चिंतित नजर आ रहे है।
असंख्य टीड्डी धान की नर्सरी को बर्बाद कर रही है।गोगहरा गांव के रहनेवाले किसान संतोष पटेल,प्रमोद कुमार,अभय सिंह, राजू सिंह, लुकेश सिंह रूपैठा के किसान इसराइल आलम,कृष्ण सिंह, निमडिहरा के बच्चा यादव, शिवन के घनजी चौधरी ने बाताया कि टीड्डी का प्रभाव इतना ज्यादा है कि फसल पनप ही नही पा रहा है।ऐसे में जानकारी के अभाव में स्थानीय दुकानदारों से दवा लाकर छिड़काव भी सुबह शाम कर रहे है लेकिन वे सब बेअसर है।साथ ही उन्होंने ने कहा कि कीटों द्वारा धान का बिचड़ा नष्ट कर देने के बाद दोबारा धान का बिचड़ा डालना पड़ा है।किसानों द्वारा बताई गई ,की समस्या के निदान केक्षलेकर कृषि विभाग ने दवा के छिड़काव के बारे में जानकारी दी है।उन्होंने बताया कि ये टीड्डी दल नहीं है, लेकिन टीड्डी ही है। हलाकि इनके प्रकोप से भी फसल को नुकसान है,चूंकि अभी चारो तरफ खेतों मे घास नहीं उगी है। बिचड़ा ही हरा है। इसलिए बिछड़ो पर ही एकत्रित हो गये है। बारिश के बाद चारो तरफ घास उगते ही इनका प्रभाव कम हो जायेगा।
बचाव के तरीक़े
टिड्डियां हरी पतियों को खाते हैं ।ऐसे में नर्सरी समय से तैयार होने में दिक्कत आएगी।समय रहते फसल संरक्षण जरूरी है।कृषि विभाग इन टीड्डीयों के रोक थाम के लिए बताया कि किसान (क्लोरपायरीफॉस 50% ईसी) 2 ml या ( लैम्ब्डा-साइहलथोरिन 5% ईसी) 1.5 ml एक लिटर पानी में घोल बना कर पूरे बीचड़े में और 2 मीटर बाहर बहर चौहद्दी छिड़काव करें। यह छिड़काव छह दिन के अन्तराल पर फिलहाल करना होगा।
अन्य खेतों में घास उगने के बाद इनका प्रकोप कम हो जायेगा। चूंकि इस बर गर्मी कम पडी मौसम और वातावरण इनके अनुरूप रहा इस लिए इनकी संख्या इस साल अधिक देखने को मिल रही है। जिससे लोग भ्रमित हो रहे है कि टीड्डी दल का हमला है। टीड्डी दल मरूस्थलीय टीड्डी है, वे फसलों को काफी क्षति पहुंचाती हैं। यहां आम टीड्डी है जो उनके अपेक्षा कम खतरनाक है। किसानों की माने तो पक्षियों की संख्या कम होने से इनकी संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई। पक्षी इन कीट पतंगो का भक्षण करते थे।