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बिहार की सीमा के करीब पहुंचा टिड्डी दल, जिला प्रशासन अलर्ट

सासाराम ब्यूरो चीफ संदीप भेलारी

सासाराम
रोहतास टिड्डियों के जिले की सीमा में पहुंचने की आशंका के मद्देनजर जिला प्रशासन व कृषि विभाग अलर्ट हो गया है। फसलों को क्षण भर में नष्ट कर देने वाला टिड्डी दल गुरुवार को बिहार की पश्चिमी सीमा के समीप पहुंच चुका है। टिड्डियों के हमले से होने वाले नुकसान को रोकने को लेकर कृषि विभाग के अधिकारी किसानों को इससे बचाव के तरीके बताए व हर हाल में फसलों को बचाने की बात कही।
कृषि विभाग के अधिकारियों ने किसानों को बताया कि टिड्डियों के आने पर तेज ध्वनि कर ढोल नगाड़े बजाकर, थाली पीटकर या डीजे की तेज आवाज से उन्हें भगाया जा सकता है। आत्मा के परियोजना निदेशक डॉ. विजय कुमार द्विवेदी ने बताया कि टिड़डियों के मूवमेंट को प्रयागराज से पूरब की ओर देखने के बाद जिले को अलर्ट कर दिया गया है। जागरूकता व प्रचार-प्रसार के लिए पंचायत स्तर पर बैठक के साथ-साथ आत्मा द्वारा प्रखंडों में पांच-पांच सौ पत्रक वितरित कराया जा रहा है।
बहुत बड़ी है टिड्डियों की फौज:
परियोजना निदेशक के अनुसार प्रयागराज से मिल रही जानकारी में कहा गया है कि यहां टिड्डियों ने किसानों की फसलों पर कहर बरपाया है। ये धान की नर्सरी व सब्जी की खेत पर भी हमला करते हैं। प्रशासन की टीम ने उनके खिलाफ ऑपरेशन शुरू किया तो वह दो टुकड़ियों में बंट गई। अनुमान के मुताबिक उनकी संख्या करीब ढाई से तीन लाख आंकी जा रही है, जो दो किलोमीटर की परिधि में रहते हैं। यह संभावना जताई जा रही है कि अब वह सीधे बिहार में ही दस्तक देगा। किसानों को दी गई सलाह:
परियोजना निदेशक के अनुसार टिड्डियों का दल लाखों की संख्या में एक साथ झुंड बनाकर चलते हैं और जहां जाते हैं हरियाली को पूरी तरह से नष्ट कर देते हैं। उनके मुताबिक, टिड्डियां अपने वजन से तीन गुना तक हरियाली आसानी से चट कर जाती हैं। किसानों को टिड्डी दल के संभावित आक्रमण को लेकर चेतावनी व एडवाइजरी दी गई है। हवा के रुख के रफ्तार पर भी टिड्डियों के दल का रास्ता तय होता है। किसानों को कहा गया है कि थाली पीटने के साथ-साथ ढोल नगाड़े की तेज आवाज करें और खुद भी शोर मचाएं ताकि टिड्डी दल आक्रमण ना करें। उन्होंने बताया कि ढोल, नगाड़ा, डीजे, पटाखा आदि के आवाज के अलावा रसायनों का प्रयाग भी प्रभावी होता है। इसके लिए लैंबड़ासायहेलोथ्रीन 5ईसी, क्लोरपायरीफॉस 20ईसी, फिपरोनिल 5ईसी, या डेल्टामेंथ्रिन 2.8ईसी को पानी में मिलाकर जहां वे आश्रय लेते हैं, छिड़काव किया जा सकता है। इसके छिड़काव का उपयुक्त समय रात 11 बजे से सूर्योदय होने तक है।

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