ETV News 24
देशबिहाररोहतास

लॉकडाउन के दरमियान नही दायर हो सका एक भी दीवानी व फौजदारी मुकदमा,भुखमरी के कगार पर पहुचे अधिवक्ता,राहत के सास ले रहे मुवक्किल,हाल सासाराम, बिक्रमगंज व डेहरी का

सासाराम
वैश्विक स्तर पर महामारी का रूप ले चुका कोरोना संक्रमण के कोहराम व इसकी भयावहता को भारत ही नही अपितु पूरी दुनिया इसके रौद्ररूप को देख व इससे रु- ब -रु होकर पहचान चुका है।तबाही के इस ख़ौफ़नाक मंजर से बचने एवं इसके त्रीव गति से बढ़ते कदम के रोकथाम के लिए बीते माह 24 मार्च से देश भर में लॉकडाउन लगाकर कोरोना संक्रमण को बेड़ियों में जकड़ने का कार्य देश के तेजस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया।ताकि एक एक नागरिको की सुरक्षा सुनिश्चित किया जा सके।जिसके सहयोग में देश के विभिन्न राज्य भी भागीदार बने रहे।पहले व दूसरे चरण में इस संक्रमण का दहशत इस कदर देश भर में परवान चढ़ा की आवश्यक खाधान्न सामग्री दावा,दूध,गैस आदि को छोड़कर न केवल सरकारी दफ्तरे, गैर सरकारी संस्थाएं,निजी- सरकारी स्कूल-कालेज,कोचिंग सेंटर, बाजार,मॉल,पार्क,दुकाने यातायात के सारे संसाधन आदि ठप पड़ गए।गांव की गलियों से लेकर शहर की सड़कें सुनसान सी दिखने लगा।चहुओर भय व दहशत का वातावरण कायम होते दिखने लगा। बल्कि न्यायपालिका व कार्यपालिका भी कोरोना के दहशगर्दी का शिकार होने से अछूता नही रहा तथा संक्रमण फैलने की आशंका के मद्देनजर आननफानन में न्याय के मंदिर कहे जाने वाले न्यायालय को आम फरियादियों के लिए दरवाजों को बंद करना पड़ा।जिलास्तरीय ब्यवहार न्यायालय समेत जिले के दो अन्य अनुमंडलीय ब्यवहार न्यायालय बिक्रमगंज व डेहरी में भी एक एक ब्यवहार न्यायालय पदस्थापित है इसके अलावा कार्यपालिका के तहत अनुमंडल दंडाधिकारी का न्यायालय है।जहां फरियादी न्याय के इस मंदिर के दहलीज पर अपना नित दिन कदम रखकर न्याय की फरियाद किया करते थे।लेकिन लॉकडाउन के फेज एक से चल रहा चौथा चरण के लॉकडाउन के दरमियान यानी करीब तीन माह के अंतराल में जिले के इन न्यायालयो में न तो भूमि विवाद से सबंधित एक भी दीवानी मुकदमे दायर हो पाए है और न ही किसी के विरुद्ध फौजदारी या भादवी की धारा 144,107,88 आदि मुकदमा का परिवाद ही न्यायालय में दायर हो चुका है।हालांकि अतिमहत्वपूर्ण बेल जो अंदर कस्टडी है आदि का कार्य ऑनलाइन करीब दूसरे चरण से चल रहा है।रोहतास जिले के इन न्यायालयों में ऑफलाइन मुकदमा या केशो की पैरवी नही होने से जहां वकीलों की आर्थिक स्थिति चरमराते जा रही है वही मुवकिल काफी सकूंन व राहत महशुस कर रहे है।जबकि अपनी निर्धारित समयानुसार चिड़ियों की भांति हमेशा चहकने वाली न्यायालय परिषर लगभग तीन माह से सुनसान नजर आने लगा है।लॉकडाउन में अब यहां न तो हाथों में थामे फाइल लेकर काले कोर्ट में वकील दिख रहे है और न ही फरियादियों (मुवकिल)की भारीभरकम हुजूम उमड़ता नजर आ रहा है।बार एसोसिएशन बिक्रमगंज के महासचिव दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि माननीय उच्च न्यायालय के निर्देश पर कोरोना संक्रमण के रोकथाम के लिए न्यायालयी कार्य पर रोक लगाई गई है और लॉकडाउन के दरमियान अबतक एक भी दीवानी या फौजदारी मुकदमो का परिवाद ऑफलाइन दायर नही हो सका है।वही पूर्व बार एसोसिएशन के अध्यक्ष उमेश प्रसाद मिश्रा ने बताया कि अतिमहत्वपूर्ण केश का बेलफाइल ही इस समय ऑनलाइन हो रहा है।ऑनलाइन फौजदारी मुकदमे भी दायर हो सकता है। लेकिन इतनी तुलतमान तथा काफी कष्टदायक सिद्ध होने की वजह से कोई कर नही रहा है।इसी तरह का विचार डेहरी बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष उमाशंकर पांडेय ने ब्यक्त करते हुए कहा कि आगामी एक जून से सम्भवतः उच्च न्यायालय के निर्देश पर न्यायालय खुल सकते है।लेकिन अभी तक डेहरी में भी ऑफलाइन मुकदमे दर्ज नही हो सके है।अधिवक्ता सह पत्रकार संजय तिवारी ने भी इसी तरह का इतफाक रखते हुए बताया कि सासाराम में जिला एवं सत्र न्यायधीश के यहां ऑनलाइन केवल बेल फाइल हो रहा है। वह भी जो अतिमहत्वपूर्ण है।जेनरल कोई कार्य नही हो रहे है।यहां तक कि कार्यपालिका में जिलाधिकारी के कोर्ट से लेकर अनुमंडल पदाधिकारी के यहां भी धारा 44,107 आदि के मुकदमे की न पैरवी हो रहा है और नही दर्ज हो रहा है ।जबकि मुवकिलो का कहना है कि इस लॉकडाउन में न्यायालय बंद होने से हमलोगों को काफी सकून के साथ आर्थिक व शारिरिक एवं मानसिक तौर पर मुकदमो को लेकर होने वाले परेशानियों से छुटकारा मिल गया है तथा शांति महशुस कर रहे है।मुवकिलो का यह भी विचार है कि इसी तरह और कुछ दिन बंद रहा है तो भले ही वकीलों का आर्थिक पक्ष कमजोर होगा।लेकिन दो चार किता से अधिक केश की पैरवी करने वाले मुवकिलो के फिजूलखर्ची बचने के साथ ही उनका आर्थिक पक्ष मजबूत हो सकता है।इनलोगो ने बताया कि प्रत्येक केश की पैरवी पर पहुचने पर वकील ,ताईद, पेशकार,गाड़ी भाड़ा आदि में पांच सौ से एक हजार तक खर्च आता था।वही सिविल कोर्ट बिक्रमगंज के अधिवक्ता मंजीत सिंह,उदय कुमार,व्रजेश तिवारी आदि ने बताया कि लॉक डाउन में ब्यवहार न्यायालय व एसडीओ कोर्ट के बंद हो जाने एवं मोवकिलो के दस्तक नही देने से आय का स्रोत ठप पड़ने के साथ ही आर्थिक स्थिति पूरी तरह से चरमरा गई है। 

Related posts

ईस्ट सेन्ट्रल रेलवे इम्प्लाईज युनियन E-C.R.E.U. के द्वारा “पुरानी पेन्शन बहाली ” हेतु जन- कन्वेंशन – सह – समस्तीपुर मंडल द्विवार्षिक अधिवेशन सम्पन्न हुआ

ETV News 24

महुआ शराब के साथ कारोबारी गिरफ्तार

ETV News 24

छठब्रतियों की सुविधा हेतु मिली राशि की लूट बर्दाश्त नहीं- बंदना सिंह

ETV News 24

Leave a Comment