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हरिहरनाथ_मंदिर_सोनपुर

देश में सबसे ज्यादा शिव मंदिर मिलते हैं। वहीं दक्षिण भारत में वैष्णव मंदिर बड़ी संख्या में हैं। पर एक ही गर्भ गृह में शिव और विष्णु का मंदिर दुर्लभ है। बिहार को सारण जिले में स्थित सोनपुर में हरिहरनाथ का अति प्राचीन मंदिर है। यहां हरि (विष्णु) और हर (शिव) की प्रतिमा एक साथ स्थापित है। कार्तिक पूर्णिमा के मौके पर गंगा-गंडक के संगम स्थल यानी हाजीपुर सोनपुर में स्थित हरिहर क्षेत्र में गंडक नदी के किनारे लाखों की संख्या में श्रद्धालु स्नान कर बाबा हरिहर नाथ मंदिर मे पूजा अर्चना करते हैं। बाबा हरिहर नाथ का मंदिर पौराणिक है।भगवान राम ने स्वयं स्थापित किया था हरिहरनाथ को सोनपुर में गज और ग्राह के युद्ध स्थल पर हरि (विष्णु) और हर (शिव) का हरिहरनाथ मंदिर है। यहां हर रोज सैकडों भक्त श्रद्धा से पहुंचते हैं। सावन माह के सोमवार के दिन यहां श्रद्धालुओं की संख्या काफी बढ़ जाती है।कुछ लोगों का कहना है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान राम ने सीता स्वयंवर में जाते समय किया था। कहा जाता है कि हरिहरनाथ मंदिर का निर्माण भगवान राम ने त्रेता युग के हाथों हुआ था। भगवान राम जब जनकपुर के लिए जा रहे थे तब उन्होंने यात्रा मार्ग में ये मंदिर बनवाया था। गंगा और गंडक नदी के संगम पर स्थित यह प्राचीन मंदिर सभी हिन्दूओं के परम आस्था का केंद्र है। बाद में इस मंदिर का निर्माण राजा मान सिंह ने करवाया। अभी जो मंदिर बना है, उसकी मरम्मत राजा राम नारायण ने करवाई थी। मंदिर के अंदर गर्भ गृह में शिवलिंग स्थापित है। इसके साथ ही भगवान विष्णु की प्रतिमा भी है। पूरे देश में इस तरह का कोई दूसरा मंदिर नहीं है जहां हरि और हर एक साथ स्थापित हों।
कई सालों तक महंथ अवध किशोर गिरी हरिहर नाथ मंदिर के महंथ रहे। उनका साल 2006 में 8 अप्रैल को निधन हो गया। बिहार राज्य के अति महत्ववपूर्ण मंदिरों में शुमार हरिहर नाथ मंदिर बिहार धार्मिक न्यास बोर्ड के तहत आता है। इसकी व्यवस्था राज्य सरकार देखती है। बड़े बड़े राजनेता और उद्योगपति बाबा हरिहरनाथ का आशीर्वाद लेने आते हैं।हरिहरनाथ मंदिर में सभी तरह के संस्कारों के कराए जाने का इंतजाम भी है। मंदिर के बगल में आवासीय धर्मशालाएं भी हैं।

कैसे पहुंचे – सोनपुर रेलवे स्टेशन से हरिहरनाथ मंदिर की दूरी तीन किलोमीटर है तो हाजीपुर जंक्शन से मंदिर की दूरी 6 किलोमीटर है। बाहर से आने वाले श्रद्धालु हाजीपुर में रहकर मंदिर जा सकते हैं। सालों भर सोमवार को और सावन के महीने में पड़ने वाले सोमवार को मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड उमड़ती है।

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