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समस्तीपुर के लाल ट्रीबॉय कन्हैया से जानिए वन महोत्सव का महत्व

प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार

समस्तीपुर जिलांतर्गत विभूतिपुर प्रखंड निवासी ट्रीबॉय कन्हैया ने लोगों के बीच जाकर वन महोत्सव का चर्चा कर रहें हैं l उनका कहना है कि वन महोत्सव सप्ताह में वन संरक्षण के प्रति जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं l जुलाई के पहले सप्ताह (1 से 7 जुलाई) में वनों के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए वन महोत्सव मनाया जाता है l यह एक वार्षिक वृक्षारोपण उत्सव है, जिसमें पूरे देश में वृक्षारोपण अभियान चलाया जाता है l प्राचीन समय में मनुष्य की भोजन, वस्त्र, आवास आदि आवश्यकताएँ वृक्षों से पूरी होती थीं l फल उसका भोजन था, वृक्षों की छाल और पत्तियाँ उसके वस्त्र थे और लकड़ी तथा पत्तियों से बनी झोंपड़ियाँ उसका आवास थीं l फिर आग जलाने की जानकारी होने पर ऊष्मा और प्रकाश भी वृक्षों से प्राप्त किया जाने लगा l आधुनिक युग में भी वृक्षों की महिमा – गरिमा सर्वोपरि है l आज भी वृक्ष मानव जीवन के आधार हैं l विविध प्रकार के फल वृक्षों से ही संभव हैं l प्रकृति की नयनाभिराम छवि वृक्ष ही प्रदान कर सकते हैं l अनेक प्रकार की जड़ी -बूटियाँ भी वनों से मिलती है l
वन मानव जीवन के लिए एक निधि है, परन्तु जनसंख्या के बढ़ने पर पेड़ कटते गए और ज़मीन खेती करने और रहने के योग्य बनती गई l भारत में बहुत से घने वन थे, परंतु धीरे-धीरे वनों का नाश भयंकर रूप धारण करने लगा l नए पेड़ों को लगाने का काम संभव न हो सका l स्वतंत्रता के बाद इसकी ओर ध्यान गया और 1960 के दशक में पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक परिवेश के प्रति संवेदनशीलतत्कालीन कृषि मंत्री कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी ने इसका सूत्रपात किया था l देश में वन महोत्सव को राष्ट्रीय दिवस के रूप में ही मनाया जाने लगा l यह उत्सव सारे देश में बड़े उत्साह से मनाया जाता है l हर जगह मनुष्य एक बड़ा पौधा लगाता है और फिर उसके बाद सारे लोग उसका अनुसरण करते हैं l वन महोत्सव हमारे मन में प्रकृति की पूजा का भाव जगाता है l इस दृष्टि से छोटे वनस्पति या पौधों का महत्व बड़े पौधों से कम नहीं है l वे ही बड़े होकर इन पेड़ों का स्थान लेकर हमारे जीवन का आधार बनते हैं l वृक्ष धरती का सौंदर्य है l सारी धरती हरियाली से ही रंग -बिरंगी तथा सुंदर दिखाई देती है l मखमली घास वाले पहाडी प्रदेश, प्रत्येक मौसम में खिलने वाले रंग-बिरंगे फूल निश्चय ही मन मोह लेंगे l धने जंगलों की श्यामल हरियाली से हृदय खिल उठते है l मन शांत तथा सुखी अनुभव करता है l वृक्ष वर्षा बरसाने में भी सहायक हैं l पृथ्वी पर नमी के कम होने की अवस्था में अगर न हो तो संपूर्ण पृथ्वी रेगिस्तान बन जाएगी l
अंत में ट्रीबॉय कन्हैया ने कहा कि युवाओं में ड्रग्स का नशा नहीं, “पेड़ लगाने का नशा” करना चाहिए l ऐसा शाश्वत नशा चढ़ेगा कि सारी दुनिया फलने–फूलने लगेगी l

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