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कोरोना महामारी को मात देने में जीविका दीदी कर रहीं सहयोग

संवाददाता –मो०शमशाद आलम

करगहर : एक तरफ़ जहाँ कोरोना की दंश से देश परेशान है, वहीं दूसरी तरफ़ इस लड़ाई को आसान बनाने के लिए पुरुषों के साथ महिलाएं भी निकलकर सामने आ रही है। नारी सशक्तिकरण का परिणाम अब यह है कि इसका फायदा समाज के एक बड़े हिस्से को मिल रहा है। अब इस सशक्तिकरण का विस्तार एक समूह से निकलकर समुदाय के बीच सेवा रूप में तब्दील हो रहा है। इसका उदाहरण जीविका समूह की महिलाएं हैं जिन्होंने अपने लिए न सिर्फ आर्थिक स्वावलंबन हासिल किया है, बल्कि अब वे समाज को भी स्वस्थ्य और मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रही हैं। कोरोना वायरस संक्रमण के इस संकटकाल में जीविका दीदी दिन-रात कार्य में जुट कर लोगों के लिए मास्क तैयार कर रही हैं। कभी ख़ुद को सशक्त करने के उद्देश्य से समूहों से जुड़ी ये जीविका दीदियाँ अब दूसरों के लिए मास्क बनाकर उनके स्वास्थ्य को सशक्त कर रही हैं।

सस्ते दामों पर लोगों के मुहैया करा रही हैं मास्क:

कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम को देखते हुए जीविका समूह की दीदी मास्क बनाने में जुटी हैं। करगहर प्रखंड के विभिन्न पंचायतों में जीविका दीदी के सहयोग से मास्क बनाए जा रहे हैं। जिसमें अभी तक लगभग तीन हजार मास्क बनाया चुका है। इस काम में जीविका दीदी समूह की सभी महिलाएं शामिल हैं। यही नहीं जीविका दीदी फोन के माध्यम से ग्रामीण महिलाओं को मास्क बनाने की विधि भी बता रही है। साथ ही समूह की महिलाओं की ओर से अत्यंत गरीब परिवारों को घरेलु आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए पैसे की आर्थिक मदद भी पहुंचाई जा रही है

• फोन कर संक्रमण से बचाव की दे रही जानकारी:

जीविका की प्रखड़ परियोजना प्रबंधक रागिब आलम ने बताया जीविका दीदी समुदाय के लिए मास्क बनाने के साथ लोगों को कोरोना वायरस संक्रमण के बारे में जागरूक कर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी भी निभा रही हैं। ये लोगों को हाथों की नियमित धुलाई, बदलते मौसम में खानपान पर विशेष ध्यान, खांसते या छींकते समय मुंह व नाक पर कपड़ा रखने, सामाजिक दूरी के तहत एक मीटर दूरी का पालन करने, मास्क का इस्तेमाल करने, संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान कर इसकी सूचना कंट्रोल रूम में देने, घर लौटे प्रवासी कामगारों को होम क्वारेंटाइन या क्वारेंटाइन में रहने आदि से संबंधित जानकारी लोगों को दे रही हैं। इसके अलावा घर की नियमित सफाई, ज्यादा मुलाकात नहीं करने, संदिग्ध या संक्रमित व्यक्ति से दूर रहने व लोगों से घरों से बाहर बेवजह नहीं निकलने की सलाह पर भी चर्चा फोन के माध्यम से कर रही हैं। उन्होंने बताया मास्टर रिसोर्स पर्सन, सामुदायिक उत्प्रेरक द्वारा जीविका दीदियों को फोन कॉल, व्हाट्सएप व लीफलेट के माध्यम से इस रोग के बारे में जानकारी दी जाती है जिसे वे आमलोगों तक पहुंचाती हैं।

• मानकों पर खरे हैं जीविका द्वारा तैयार किए गए मास्क:

मास्क की पूर्ति बहाल करने के उद्देश्य से बिहार रूरल लाइवलीहुड प्रोजेक्ट यानी जीविका की महिलाएं दिनरात काम में लगी हैं।प्रखंड़ में मास्क बनाने का काम जीविका दीदी द्वारा किया जा रहा है। राज्य में कई समूहों को स्वास्थ्य विभाग की ओर से मास्क बनाने का सीधा आर्डर मिला रहा है। इसके बदले स्वास्थ्य विभाग इन महिला समूहों को पैसे का भुगतान करेगा जिससे इन महिलाओं को समूह की आर्थिक व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने में भी मदद मिलेगी। जीविका दीदी के कामों की कुशलता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कपड़ा काटने से लेकर मास्क बनाने और इसकी पैकजिंग करते तक उसे भली-भांति साफ व सेनिटाइज्ड रखा जाता है। ये फेस मास्क मानकों के आधार पर खरे हैं।

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