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मनोवैज्ञानिक रुप मानव मन पर मौत से कहीं अधिक गहरा प्रभाव भय डालती है: डा उदय कुमार सिन्हा

कोरोना वायरस से लड़ने के लिए लॉक डाउन का पालन जरूरी

इंसान के मन और मानसिक क्षमता उसकी शारीरिक क्षमता से कई गुना अधिक होती है

डेहरी ऑन सोन रोहतास

कोरोना वायरस एक संक्रमण बीमारी है। यह कई देशों को अपनी चपेट में ले लिया है ।उक्त बातें वरीय मनो चिकित्सक उदय कुमार सिन्हा ने कहीं। उन्होंने कहा कि कोरोनावायरस से घबराना नहीं है बल्कि सचेत रहना है ।उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा कि आप सब घर में रहें सुरक्षित रहें ।महामारी को फैलने से रोकने के लिए सरकार के दिशा निर्देश का पालन करें। आपका यह सहयोग मानव जाति के लिए अनमोल है। आपकी नकारात्मक सोच विचार एवं तात्कालिक परिस्थितियों से उतपन्न मानसिक दबाव अवसाद एवं व्यवहार मे परिवर्तन उतपन्न करेगा ।खासकर लौक डाउन का बच्चों के व्यवहार पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है।उन्होंने फकीर और मौत की कहानी पर जिक्र करते हुए कहा कि बहुत पुराने समय की बात है एक फकीर था। जो एक गांव में रहता था ।एक दिन शाम के वक्त वो अपने दरवाजे पर बैठा था तभी उसने देखा कि एक छाया वहां से गुजर रहा है । फकीर ने उसे रोककर पूछा -कौन हो तुम ? छाया ने उत्तर दिया ‘मैं मौत हूं गांव जा रहा हूं ।गांव में एक महामारी आने वाली है। छाया के इस उत्तर से फकीर चिन्तित हो गया ।उसने पूछा कितने लोगों को मरना होगा इस महामारी में। मौत ने कहा एक हजार लोग। इतना कह कर मौत गांव में प्रवेश कर गयी। महीने भर के भीतर उस गांव में महामारी फैली और लगभग तीस हजार मर गए। फकीर बहुत क्षुब्ध और क्रोधित हुआ कि पहले तो केवल इंसान धोखा देते थे, अब मौत भी धोखा देने लगी। फकीर मौत के वापस लौटने की राह देखने लगा । कुछ ही समय बाद मौत वापस जा रही थी । फकीर ने उसे रोक कर पूछा, अब तो तुम भी धोखा देने लगे हो। तुमने तो बस एक हजार मरने की बात की थी। लेकिन ,तुमने तीस हजार लोगों को मार दिया। इस पर मौत ने जवाब दिया ,मैंने तो बस एक ही हजार ही मारे हैं ।उनतीस हजार तो भय से मर गए। उनसे मेरा कोई संबंध नहीं है ।डॉ सिन्हा ने कहा कि यह कहानी मनुष्य मन का शाश्वत रूप प्रस्तुत करती है। मानव मन पर मौत से कहीं अधिक गहरा प्रभाव भय डालती है ।भय कभी बाहर से नहीं आता बल्कि यह भीतर ही विकसित होता है। इसलिए कहते हैं मन के हारे हार है मन के जीते जीत ।हमारा मन जब हार जाता है तो हमारे भीतर भय का साम्राज्य कायम हो जाता है । भयभीत व्यक्ति ना तो कभी बाहरी परिस्थितियों पर विजय प्राप्त कर सकता है । उन्होंने कहा कि हम जैसे सोचते हैं हमारा शरीर और पूरा शारीरिक तंत्र उसी प्रकार अपनी प्रतिक्रिया देता है ।इंसान के मन और मस्तिष्क की क्षमता उसकी शारीरिक क्षमता से कई गुना अधिक होती है ।उस गांव में 29 हजार लोग महामारी से नहीं बल्कि भय से मर गए ।क्योंकि उनका मनोबल गिर गया था ।इसलिए मनोबल हमेशा ऊंचा रखें परिस्थितियां चाहे जो भी हो। परिवर्तन संसार का नियम है ।यह सुख और दुख दोनों से समान रूप से लागू होता है। संतुलित और निर्भीक मन ( अच्छे अर्थों में) सफल और सार्थक जीवन जीने की सबसे बड़ी कुंजी है। अतः सदैव संतुलित रहने का प्रयास करें। एक कहावत है मनुष्य को केवल एक ही व्यक्ति हरा सकता है और वह है मनुष्य स्वयं। एक सजग मनुष्य के लिए हताशा और निराशा कभी कोई विकल्प नहीं हो सकता। सकारात्मक रूप अपनाते हुए प्रयत्नशील और संघर्षशील रहना सदैव शक्ति और विजय का परिचायक है। उन्होंने कहा कि सब कुछ बंल हुआ है लेकिन हमारे ब्रह्मास्त्र का इंधन बिल्कुल भरा हुआ है ।समय का सदुपयोग कीजिए। अच्छा पढ़िए अच्छा सुनिए सभी किताबें ऑनलाइन उपलब्ध है ।अपनी रचनात्मकता को पंख दीजिए और खुद को छोड़कर सब से दूर हो जाइए। फिर आप सुरक्षित हैं और हम सब भी। उन्होंने कोरोना वायरस को लेकर हुए लॉक डाउन में कार्य करने वाले जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन के प्रति आभार प्रकट करता हूँ उन्होंने कहा कि अभी के समय में सेना पुलिस डॉक्टर स्वास्थ्य कर्मी सफाई कर्मी के अलावे मीडिया कर्मी भी प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं-एक योद्धा की तरह।

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