उत्तर प्रदेश सुल्तानपुर
( etv न्यूज 24 ) वागीश कुमार
सुल्तानपुर – सोशल आडिट प्रधानों द्वारा किये गए कार्यो को 2 दिन तक जांच परखकर तीसरे दिन जनता के सामने उसी कार्यो की पुष्टि करते हुए रिपोर्ट तैयार करती है और उसे उच्चाधिकारियो तक भेजती है जिसमे प्रधानों द्वारा किये गए कार्यो की जनता के सामने पोल खुलती है,और तो और भ्रस्टाचार उजागर होती है,लेकिन यहां तो कुछ और ही हो रहा है,चोरों के घर मे भी चोरी लाखो करोङो लुटे हुए प्रधानों से भी वसूली करके सोशल आडिट के नाम पर सब कुछ छिपाया जा रहा है,12.13.और 14 मार्च को प्रतापपुर कमैचा में लगभग 5 ग्राम सभा मे सोशल आडिट होनी थी और 14 को खुली बैठक लेकिन मजे की बात जब 14 मार्च को लगभग 2 बजे शाम को बीडीओ पीपी कमैचा,डीडीओ सुल्तानपुर का फ़ोन नही उठा तो हमारे पत्रकार द्वारा जिला सोशल ऑडिट कंचन को फोन किया गया तो उन्होंने बताया कि मेरी आज छूट्टी है सभी पेपर कार्यालय में है,मुझे टीम का नाम नही पता जब कि जिला कॉर्डिनेटर को फील्ड में रहकर औचक निरीक्षण करना होता है,लेकिन उसमें एक लड़के को मैने फ़ोन की थी अभी वो पहुंच जाएगा,अफसोस कि जब पत्रकार ने मेम्बर कलीम को फ़ोन किया तो कलीम ने भी वही रटी रटाई कहानी बताई उसके थोड़ी देर बाद दोबारा फ़ोन कर बड़े ही अलग अंदाज में अपने को सरकारी पत्रकार बताते हुए एक अलग झटका पत्रकार को देने का प्रयाश करने लगा,मजे की बात 5 में चार गावों में नही हुई सोशल आडिट समझ नही आता कि इतने बड़े पैमाने पर प्रचार प्रसार के साथ बैनर पोस्टर का पैसा प्रधानों के बचाने के लिए लिया गया घूंस का पैसा क्या ब्लॉक कॉर्डिनेटर से जिला कॉर्डिनेटर तक ही रहता है या ऊपर के अधिकारी लखनऊ तक जाता है,यह बड़े पैमाने पर जांच का विषय है,ग्रामीणों से बात करने पर पता चलता है कि ना कभी कोई अधिकारी जांच में आता है,यह तो पता ही नही की सोशल आडिट है क्या,कौन करता है,क्या हमें बड़े पैमाने पर अधिकारियो को शिकायत करने की जरूरत है,अब देखना है कि क्या उच्चाधिकारी जांच करते है।