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किशुनपुरा का विशुनपुरा क्म्पयूटर अंचल में लोड होने से ग्रामीण परेशान

दिनारा ( रोहतास)

अंचल क्षेत्र के किशुनपुरा गांव के नाम विशुनपुरा क्म्पयूटर में अंचल कर्मियों द्वारा दर्ज कर देने से दर दर की ठोकरें खाने को विवश हो चुके हैं सभी ग्रामीणजन। अभी तक गांव नाम सुधार नहीं होने के चलते काफी चिंतित परेशान सभी रैयत रहते हैं।किशुनपुरा गांव के रैयत सुनील कुमार बताते हैं कि मौजा किशुनपुरा थाना नं ० 222 पंचायत बलियां में शामिल हैं। जिनके उत्तर में विरौवांकला पूरब एवं दक्षिण में अरिला रघुनाथपुर पश्चिम में सहुआडी,भलुआही, बलियां गांव की सिवान लगती है। जहां राजस्व गांव किशुनपुरा के नाम से मालगुजारी रसीद लगान रैयत कटवाते थे। लेकिन जब से अंचल के क्म्पयूटर में आनलाइन रसीद काटने के लिए दर्ज कराई गई।उस समय किशुनपुरा के जगह विशुनपुरा क्म्पयूटर में चढ़ा दी गई।जब ग्रामीणों को पता चला तो उस समय के तत्तकालीन अंचलाधिकारी राजेश कुमार से पहले मौखिक रूप से एवं उसके बाद लिखित रूप से गांव का नाम सुधारवाने की मांग की गई। जिनके द्वारा एक माह में नाम सुधारने का आश्वासन देते हुए वरीय अधिकारियों के पास जाने से रोका गया। जिसके बाद तबादला हो गया। लेकिन गांव का नाम कम्प्यूटर में नहीं सुधार हो सका। उनके बाद तत्कालीन अंचलाधिकारी संजीव कुमार ने आठ दिन में सुधार करने के आश्वासन के बाद भी जस के तस स्थिती बरकार रही है। भूमि सुधार उप समाहर्ता ब्रिक्रमगंज,जिला समहर्ता सासाराम को आवेदन के द्वारा एवं वासुकीनाथ सिंह अंचलाधिकारी से मौखिक मांग किशुनपुरा सुधार करवाने की गई फिर भी स्थिती जस की तस बरकरार है। अधिकारी एवं कर्मचारी की गलती की खामियाजा पुरे गांव के लोग भुगत रहे हैं। जिसके ग्रामीणों को केसीसी ऋण बैंकों से नहीं मिलना, किसी व्यक्ति की जमानत में अमान्य रसीद कर दिया जाना, धान खरीदारी सहित रैयतों की पहचान को ही खत्म कर दिया गया है।इस संबंध में हल्का कर्मचारी सत्यप्रकाश दुबे का कहना है कि राज्य में हर बार विशुनपुरा से किशुनपुरा गांव सुधारने की रिपोर्ट भेजी जाती है। लेकिन सुधार कर सही नहीं किया जा रहा है। यहां तक कि सभी अंचलकर्मी पटना प्रशिक्षण में जब गये तो पूछा गया कि कौन समस्या बेजोड़ हैं कि जिसमें सभी कर्मी लग गये लेकिन कम्प्यूटर में सुधार नहीं हुआ तो उसने इस समस्या को बिहार के इस विभाग के हेड टेक्नीशियन को लिखवाया गया। लेकिन छ: माह बीतने के बाद सुधार नहीं होने पर रिमाइंडर भेजा गया। लेकिन अभी तक सुधार नहीं हुआ है। जिसके चलते दर दर की ठोकरें खाने को विवश ग्रामीणों ने सभी आलाधिकारियों से गांव के नाम सुधार करवाने की मांग की है। साथ ही इस माह के अंत तक सुधार नहीं हुआ तो मुख्यमंत्री बिहार से आवेदन द्वारा मांग करने की बात कही है।

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