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भक्त की सेवकाई से वश में होते भगवान:— आचार्य

सासाराम

रोहतास जिला के सबसे बड़े प्रखंड दिनारा के अंतर्गत खनिता चौक बाजार स्थित महावीर मंदिर में हो रहे महायज्ञ में श्रीराम कथा में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। मंगलवार को केवट अनुराग से लेकर भवसागर की यात्रा पूरी हुई। कथा प्रेम व अनुराग के घाट पर पहुंची तो श्रद्धालु भक्ति रस से सराबोर हो गए। प्रवचनकर्ता आचार्य हरेन्द्र महाराज ने नदी के घाट पर प्रभु के जोहते बाट तथा केवट की काठ की नाव व पखारे गए पांव की प्रक्रिया में अनुराग का ऐसा चित्र खींचा कि भक्त भाव विभोर हो गए।
उन्होंने कहा कि केवट जैसे भक्त ने सेवकाई से भगवान को वश में कर लिया था। भगवान भक्त केवट की बात सुनकर निरूत्तर हो गए। लेकिन, उसकी विवशता से अपना राज खोल दिए और बोले कि भोले शंकर से यह बचपन में सीखा। भवसागर पार उतरने का इससे सहज व सरल सूत्र कुछ हो नहीं सकता है। भगवान की कृपा पाने के लिए संगीत को सबसे सुगम माध्यम बताया। महाराज ने कहा कि प्रेम में नृत्य, गीत व वादन का आनंद सत्य, सुखद व शाश्वत है। केवट प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि भक्ति का हृदय में जब वास हो जाए तो घर भी सुधर जाए और जीवन का हर घाट भी संवर जाए। उन्होंने कहा कि नारायण का पांव ब्रह्मा, जनक व केवट ने पखारा। नारायण का पांव बालि, अहिल्या व कालिया नाग के माथे पर पड़ा, लेकिन नारायण के हाथ केवल केवट के माथ पर पड़े। केवट के प्रेम व अनुराग को उच्च कोटि का बताते हुए कहा कि तभी तो भक्त भगवान के समतुल्य हो जाता है। प्रभु राम भवसागर के पतवार धारक है और केवट नदी का खेवैया। मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु थे।

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