नालंदा :-बिहार के नालंदा जिले में जमीन संबंधी कार्यों में घूसखोरी और अनियमितताओं के आरोपों के चलते प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। जिला प्रशासन को कई शिकायतें मिली थीं कि सीओ (सर्किल ऑफिसर) कार्यालय में बिना रिश्वत के कोई काम नहीं हो रहा था, और सभी टेबलों पर भ्रष्टाचार व्याप्त था। इन शिकायतों की पुष्टि के बाद, जिला अधिकारी (डीएम) ने हरनौत प्रखंड के तत्कालीन सीओ, प्रभारी सीआई और एक राजस्व कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की है।
घटना नालंदा के हरनौत प्रखंड की है, जहां जमीन के दाखिल खारिज, जमाबंदी, और अन्य राजस्व से जुड़े कार्यों को लेकर लगातार अनियमितताओं की शिकायतें मिल रही थीं। सुरेंद्र प्रसाद और पप्पू कुमार नामक नागरिकों ने डीएम से शिकायत की कि उनकी जमीन का दाखिल खारिज बिना उचित जांच के कर दिया गया, जबकि मामला कोर्ट में विचाराधीन था। इससे राजस्व विभाग के भ्रष्टाचार और अनियमितता की ओर साफ इशारा मिलता है।
शिकायतकर्ताओं का आरोप
नेहुसा बिगहा के रहने वाले सुरेंद्र प्रसाद और पप्पू कुमार ने हरनौत अंचल के रुपसपुर मौजा की विवादित जमीन के मामले में धोखाधड़ी का आरोप लगाया। उन्होंने बताया कि जमाबंदी शिवशम्भु कुमार के नाम पर दर्ज कर दी गई थी, जबकि इस मामले का स्वामित्व अभी अदालत में लंबित है। शिकायत के अनुसार, सीओ उमेश कुमार और राजस्व कर्मचारी राजनंदन कुमार ने जानबूझकर जमीन का दाखिल खारिज किया, जो कि बिहार भूमि दाखिल खारिज अधिनियम 2011 की धारा 06 (11) का सीधा उल्लंघन है।
डीएम की जांच में अनियमितता का खुलासा
शिकायत के बाद नालंदा के डीएम ने मामले की जांच की, जिसमें पाया गया कि संबंधित राजस्व कर्मचारी, अंचल निरीक्षक और अंचलाधिकारी ने कोर्ट में लंबित विवादित जमीन का दाखिल खारिज कर दिया। डीएम ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि जमीन के स्वामित्व का मामला कोर्ट में होने के बावजूद, इन अधिकारियों ने अनियमितता करते हुए दाखिल खारिज की प्रक्रिया को अंजाम दिया।
नालंदा के डीएम ने हरनौत के तत्कालीन सीओ उमेश कुमार, प्रभारी सीआई शैलेंद्र कुमार और राजस्व कर्मचारी राजनंदन कुमार के खिलाफ सख्त कार्रवाई की अनुशंसा की है। वर्तमान में उमेश कुमार का हरनौत से तबादला हो चुका है, लेकिन डीएम ने उनके खिलाफ भी अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की है।