प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार
पन्ना ,पवई :-शासकीय माध्यमिक शाला नारायणपुरा में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर शिक्षक सतानंद पाठक ने पक्षियों को दाना पानी रखते हुए छात्र .छात्राओं को राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के बारे में बताया कि
महान भारतीय वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकटरमन ने 28 फरवरी, 1928 को रमन प्रभाव के खोज की आम घोषणा की थी। इसलिए इस महत्वपूर्ण खोज की याद में प्रत्येक वर्ष यह दिन ‘राष्ट्रीय विज्ञान दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। देश-विदेश में वेंकटरमन के इस खोज को न सिर्फ खूब सराहा गया वरन् कई तरह के पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया। सन् 1929 में ब्रिटिश सरकार ने उन्हें ‘सर’ की उपाधि से विभूषित किया। वेंकटरमन को सन् 1930 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया। गौरतलब है कि वेंकटरमन पहले ऐसे एशियाई और अश्वेत वैज्ञानिक थे जिन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। सन् 1952 में उनके पास भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति बनने का निमंत्रण आया। इस पद के लिए सभी राजनीतिक पार्टियों ने उनके नाम का ही समर्थन किया था। इसलिए वेंकटरमन को निर्विवाद उपराष्ट्रपति चुना जाना पूर्णतया निश्चित था, परंतु वेंकटरमन में तनिक भी पद-लोलुपता नहीं थी और साथ-ही-साथ उनकी राजनीति में जरा भी दिलचस्पी नहीं थी। इसलिए उन्होंने उपराष्ट्रपति बनने के निमंत्रण को अस्वीकार कर दिया। सन् 1954 में भारत सरकार ने उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से भी विभूषित किया। गौरतलब है कि वेंकटरमन पहले ऐसे भारतीय वैज्ञानिक थे जिन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया था।