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समस्तीपुर में तालाब की खुदाई के दौरान मिली डेढ़ फुट की चांदी से बनी शिव मूर्ति

प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार

समस्तीपुर जिले के सिंघिया में एक तालाब में सीढ़ी बनाने के लिए हो रही खुदाई के दौरान मिली भगवान शिव की चांदी की मूर्ति पर अधिकार को लेकर दो ग्रामीण तनाव में हैं।दोनों गांवों के लोग अपने-अपने गांवों में शिव की मूर्ति स्थापित करने पर जोर देते हैं।स्थानीय स्तर पर पंचायतें करने के बाद भी मामला नहीं सुलझ सका है।मामला अभी ग्रामीण स्तर पर ही है।सिंघिया प्रखंड के मोहद्दीपुर गांव में पंचायत की योजना के अनुसार तालाब में सीढ़ी का निर्माण कराया जाना है।एक सप्ताह पूर्व पड़ोसी गांव जमुआ के मजदूरों द्वारा सीढ़ी निर्माण के लिए तालाब की खुदाई करायी जा रही थी।तालाब की खुदाई के दौरान मजदूरों को भगवान शिव की डेढ़ फुट की चांदी की मूर्ति मिली। जिसे मजदूर अपने गांव जमुआ ले गये।इसकी जानकारी होने पर मोहद्दीपुर के लोगों ने यह कहते हुए मूर्ति वापस करने की मांग की कि यह तालाब के मंदिर के रूप में स्थापित है।हालाँकि, जमुआ के मजदूर ने मूर्तियों को वापस करने से इनकार कर दिया और कहा कि वे उन्हें अपने गाँव के मंदिर में स्थापित करना चाहते थे. इसके बाद दोनों ग्रामीणों के बीच मूर्ति को लेकर विवाद शुरू हो गया, जो एक सप्ताह से चल रहा है।मोहद्दीपुर के ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में भगवान शिव प्रकट हुए हैं।इसलिए इसे तालाब के किनारे शिव मंदिर में स्थापित किया जाएगा।लेकिन जमुआ गांव के लोग मूर्ति देने को तैयार नहीं हैं।इससे दोनों गांवों के बीच तनाव पैदा हो गया है।इस संबंध में वारी पंचायत के मुखिया राम किशुन पंडित ने कहा कि विवाद को खत्म करने के लिए लगातार पहल की जा रही है।दोनों गांवों के लोगों की पंचायत भी बुलाई गई लेकिन अभी तक कोई समझौता नहीं हो सका है।इधर, सिंघिया थानाध्यक्ष कृष्णकांत मंडल ने बताया कि अब तक कोई आवेदन नहीं दिया गया है। लेकिन विवाद की जानकारी मिली है। स्थिति पर नजर रखी जा रही है।खुदाई के दौरान तालाब में शिव प्रतिमाएं मिलने को लेकर ग्रामीणों ने आशंका जताई कि मठ-मंदिरों में चोरी की वारदातों को अंजाम देने वाले चोरों ने किसी मंदिर से मूर्तियां चुराकर सुनसान इलाके के तालाब में छिपा दी होगी। चोर विभिन्न स्थानों के मठों और मंदिरों से बहुमूल्य मूर्तियाँ चुराकर इसी तालाब में छिपा देते थे। कभी-कभी उन्हें तालाब से निकालकर बाज़ार में बेच दिया जाता था।यह प्रतिमा वहां से गहरे पानी में रही होगी।जो खुदाई में निकला।

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