प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार
पायोनियर कंपनी का फसल कटाई दिवस मनाया गया P 3532 के गुणों के बारे में सारी जानकारी दी गई। पायोनियर के TBL प्रियंका भाटिया TSM विवेक कुमार RAG प्रदीप सिंह M D R पहलाद कुमार इस कंपनी के बारे में और नया हाइब्रिड P3532 के बारे में जानकारी दी उन्होंने बताया कि कल्याणपुर प्रखंड के सैदपुर के किसान सुनील ठाकुर रामबाबू ठाकुर सुभाष कुमार मौजूद में यह हाइब्रिड P3532 सुनील ठाकुर ने लगाकर 285 केजी उत्पाद किए हैं 2023 में भी यही P3532 लगाया जाएगा। विकास के कई पैमानों पर बिहार देश के दूसरे हिस्सों से पीछे हैं लेकिन मक्के के उत्पादन में बिहार का प्रदर्शन ज़बरदस्त है। अक्टूबर में बोई जाने वाली मक्के की रबी फ़सल का औसतन उत्पादन बिहार में तीन टन प्रति हेक्टेयर है, हालांकि यह तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश के प्रति हेक्टेयर औसत उत्पादन से कम है।लेकिन औसत की बात करने पर आकड़ों से जुड़े कई दूसरे पहलुओं पर बात नहीं हो पाती है। उदाहरण के तौर पर समस्तीपुर ज़िले में प्रति हेक्टेयर साढ़े सात से नौ टन तक मक्का का उत्पादन होता है, यह सच है कि रबी वाले मक्के की फ़सल खरीफ मक्के की फ़सल से अधिक इसलिए होती है क्योंकि रबी वाले फल को कीट-पतंगों और बीमारी से कम ख़तरा होता है।बिहार में मानसून में आने वाली बाढ़ से जमा हुई कीचड़ का भी फायदा रबी फ़सल को मिलता है लेकिन अधिक उत्पादन की और भी वजहें हैं। किसानों वो कहते हैं, “मेरी नज़र में पहली वजह है बीज।” किसानों ने कहा कि उन्होंने बताया, “हाइब्रिड बीज की वजह से फसल के उत्पादन में गज़ब की बढ़ोत्तरी हुई है।” उत्पादकता के लिहाज़ से तकनीक का इस्तेमाल महत्वपूर्ण है।हाइब्रिड बीजों का इस्तेमाल कर ले रहे अच्छी फसल
कुछ कृषि अर्थशास्त्रियों के अध्ययन से इस बात का पता चलता है कि खेती अनुसंधान पर होने वाले ख़र्च का 1990 के दशक में सबसे ज्यादा फ़ायदा दिखता है। इसका असर अभी भी देखा जा सकता है, इसका एक उदाहरण कपास की खेती है।
सुमन पहले पीले मक्के की खेती किया करते थे, उन्हें कहा गया कि इतनी मेहनत में वो सफेद मक्के की दोगुना पैदावार कर सकते हैं। सुमन अब ड्यूपॉन्ट पायनियर के हाइब्रिड बीज का इस्तेमाल करते हैं क्योंकि उन्हें लगा कि इसमें कम नमी की ज़रूरत पड़ती है।