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अपने आसपास के जलाशयों, नदी-तालाबों को बचाने का सामूहिक संकल्प लें

बोध गया,आज निरंजना रिवर रिचार्ज मिशन, मानवाधिकार जन निगरानी समिति, पैरवी, उद्देश्य भारती सहित अनेक संगठनों के बैनर तले महाबोधि सोसाइटी ऑफ इंडिया के सभागार में जलवायु परिवर्तन और जल संकट विषय पर एक विमर्श का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पैरवी के दीनबंधु वत्स ने कहा कि जलवायु परिवर्तन मुख्यतः जल संकट के रूप में ही परिलक्षित होता है। भारत सहित पूरी दुनिया जल संकट के दौर से गुजर रहा है। भारत में दुनिया की 18% आबादी है लेकिन जल संसाधन के रूप में हमारी हिस्सेदारी केवल 4% की ही है।

भारत सरकार का थिंक टैंक नीति आयोग ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत की लगभग 60 करोड़ की आबादी घनघोर जल संकट से गुजर रही है।कम्पोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स के इस रिपोर्ट में जल की गुणवत्ता के सूचकांक में 122 देशों में हम 120 वें स्थान पर हैं। भारत की लगभग 70 प्रतिशत जल प्रदूषित है।
एक तरफ देश जल संकट से जूझ रहा है वही जल की गुणवत्ता भी बेहद खराब है। इससे हमारा स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। हर साल लगभग दो लाख के करीब लोग जल की कमी और खराब गुणवत्ता के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। हर दिन 5 साल से कम उम्र के लगभग एक हजार बच्चे अपर्याप्त जल और सफाई-स्वच्छता की कमी के कारण अपनी जान खो देते हैं।
जल संकट से देश की अर्थव्यवस्था प्रभावित होती है। खेती, स्वास्थ्य, रोजगार, पलायन जैसे मुद्दे सीधे तौर पर जल-संकट से जुड़े हुए हैं। इसलिए हमें जल-संकट के प्रति बेहद सजग रहने की जरूरत है।

बिहार में कभी दो ढाई लाख से ऊपर तालाब हुआ करता था लेकिन अब सिर्फ 93 हज़ार ही तालबें बची हैं। कभी बिहार से होकर छह हजार के करीब छोटी बड़ी नदियां बहा करती थीं जो अब घटकर प 6 सौ के आसपास रह गई हैं। हम जल का अत्यधिक दोहन कर रहे हैं। हमने तालाबों को भरकर मकान बनाए, नदियों को घेर कर उनकी हत्या कर दी और धरती का सीना छलनी कर जितनी मर्जी उतनी पानी निकाल रहे हैं। वह दिन दूर नहीं जब हम बूंद-बूंद के प्यासे हो जाएंगे। इसलिए उचित भूगर्भ जल प्रबंधन और टिकाऊ खपत करने की जरूरत है। इस अवसर पर हम संकल्प लें कि अपने आसपास के जलाशयों, नदी-तालाब, आहर-पोखर, डोभा-चौर जैसे जलाशयों को बचाएं। उसकी हत्या होने से रोके,उसे पुनर्जीवित करें।

कार्यक्रम में बिजनौर से आए विवेक त्यागी ने सरकार और समाज को गांधीवादी तरीके से इस मामले को हल करने की बात कही। इस सत्र में रविंद्र कुमार रवि, गया से संस्कृत सौरव, आजमगढ़ से शरद कुमार सिंह, सासाराम से ललिता, वैशाली किसान संघ की ओर से राम इकबाल सिंह, इरफान अहमद फातमी, जानकी मंदिर ठाकुरबारी अयोध्या के महंत सरयू दास जी, रिंकी कुमारी, विष्णु गोपाल सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे। इस सत्र की अध्यक्षता बंदी अधिकार आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक संतोष कुमार उपाध्याय ने की।

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