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बिहारसमस्तीपुर

प्रधानाध्यापिका के खिलाफ बच्चों में दिखा आक्रोश।दो सप्ताह से मध्याह्न भोजन बंद

*विद्यालय के शिक्षक ने प्रधानाध्यापिका पर जाती सूचक शब्द का प्रयोग कर गाली गलौज करने का लगाया आरोप।*

प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार

शिक्षक सिंटू पासवान को जान से मारने की मिली धमकी।

वर्ग 1 से 10 वीं के छात्र छात्राओं को खुले में जाना पड़ता है सौच। बहसी व आवारापन लड़कों की रहती है नजर!

समस्तीपुर/खानपुर प्रखंड क्षेत्र के नत्थुद्वार पंचायत अंतर्गत अमसौर चौर टोल स्थित राजकीय मध्य विद्यालय के छात्रों ने आज विद्यालय के बिगड़ती विधि वैवस्था से नाराज होकर दोपहर से हीं सभी छात्र छात्राएं पठन पाठन छोर प्रधानाध्यापिका के खिलाफ मोर्चा खोल विद्यालय के सामने सड़कों पर उतर गए।जहां प्रधानाध्यापिका के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते दिखे।उपस्थित छात्रों ने बताया की करीब पंद्रह दिनों से मध्याह्न भोजन नहीं दिया जा रहा है।जब भी मध्याह्न भोजन की मांग करते हैं तो प्रधानाध्यापिका के द्वारा गाली गलौज कर वहां से भगा दिया जाता है।इस महीने में करीब 15 दिनों से मध्याह्न भोजन बंद था लेकिन आज दोपहर के बाद गुणवत्ता को ताख पर रख भोजन बनाया जा रहा था जिसमें ढाई सौ से अधिक बच्चों के लिए मात्र 500 एमएल तेल,150 ग्राम पयाज,एक केजी सोयाबारी में आलू का सब्जी बनाया जा रहा था।जिससे आक्रोशित छात्र छात्राओं ने गुणवत्ता पूर्ण सब्जी बनाने की मांग करने लगे।लेकिन छात्र छात्राओं की बात प्रधानाध्यापिका को हजम नही हुई और वे छात्र छात्राओं को गाली गलौज कर वहां से भगाने लगे।।जिससे आक्रोशित छात्र छात्राओं ने विद्यालय के बाहर सड़कों पर प्रधानाध्यापिका के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। छात्रों ने बताया कि मीनू के अनुसार मध्यान भोजन नहीं दिया जाता है ना ही हम लोगों को हरा साग सब्जी मिलता है और ना ही सलाद ना ही मौसमी फल मिल पाता है और ना ही शुक्रवार को अंडा ही दिया जाता है।इस बाबत जब विद्यालय के शिक्षक सिंटू पासवान से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि विद्यालय के प्रधानाध्यापिका मंजू कुमारी के द्वारा सरकारी योजनाओं को पूर्ण रूप से ध्वस्त कर दिया गया है। ना बच्चों को सही से भोजन मिल पा रहा है और ना ही उन्हें शौचालय की सुविधा दी गई है जो भी सौचालय है ऊसमें ताला लटका रहता है । जिसके कारण विद्यालय में पढ़ने वाले 1 से लेकर 10 वीं वर्ग के छात्र छात्राओं को खुले खेतों में शौच के लिए जाना पड़ता है। जिनके ऊपर बहसी व दरिंदे लोगों की निगाहें टिकी रहती है उन्होंने कहा की आज जब बच्चों को आक्रोशित देख हमने प्रधानाध्यापिका से व्यवस्था सुधारने की बात कही तो उनके द्वारा हमें जाति सूचक शब्द का प्रयोग व गाली गलौज करते हुए प्रताड़ित किया गया।उन्होंने कहा की प्रधानाध्यापिका के पति जो आम नागरिक हैं वे भी प्रतिदिन विद्यालय के कार्यालय में बैठे रहते हैं जिनके इशारे पर विद्यालय का सारा कार्य किया जाता है। बच्चों के अभिभावकों ने कहा कि मैट्रिक का फॉर्म भरने में जहां 865 रुपए के करीब लगता था वहां किसी विद्यार्थी से 11 सौ तो किसी से साढ़े ग्यारह सौ रुपए की वसूली बिना रसीद के किया गया हैं। इस बाबत जब प्रधानाध्यापिका से जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि 1अक्टूबर से लेकर 17 अक्टूबर तक चावल नहीं रहने के कारण मध्यान भोजन नहीं बना है!

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