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आखिर क्यों नहीं हो रही है नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी , देश विदेश में भारत की न्याय प्रणाली पर उठने लगे हैं सवाल, नूपुर शर्मा को जल्द गिरफ्तार करें सरकार व न्यायपालिका – किरण देव यादव

अलौली खगड़िया बिहार

*पत्रकार मो. जुबेर की गिरफ्तारी एवं नूपुर शर्मा को क्लीन चिट क्यों ? हम भारत के लोग पूछते हैं सवाल*

*अलौली* मिशन सुरक्षा परिषद पिछड़ा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष सह नेशनल जर्नलिस्ट एसोसिएशन पत्रकार संघ के संरक्षक किरण देव यादव ने विश्व के सबसे बड़े लोकतांत्रिक धर्मनिरपेक्ष देश में संप्रदायिक बयान देकर धार्मिक उन्माद एवं दंगा फैलाने वाली भाजपा नेत्री नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी करने की मांग न्यायपालिका, केंद्र सरकार व महामहिम राष्ट्रपति से किया है।
उन्होंने कहा कि टि्वटर पर एक छोटे पोस्ट के कारण ए एल टी न्यूज़ के सह संस्थापक पत्रकार मोहम्मद जुबेर की गिरफ्तारी की गई किंतु इतनी बड़ी दंगाई भाषा बोलने वाली नूपुर शर्मा की गिरफ्तारी क्यों नहीं की गई ? क्यों सरकार के द्वारा संरक्षण दी जा रही है ? न्यायपालिका क्यों नहीं गिरफ्तारी की आदेश दे रही है ? सुप्रीम कोर्ट क्यों खामोश है ?
यह यक्ष प्रश्न आज देश-विदेश के अमन पसंद सामान्य नागरिक भी करने लगे है। देश की प्रतिष्ठा की तौहीन हुई है।
श्री यादव ने कहा कि एक तरफ पत्रकार मोहम्मद जुबेर की गिरफ्तारी एवं भाजपाई संप्रदायिक बयान देने वाली नूपुर शर्मा को खुली छूट, यह सरकार व न्यायपालिका की दोहरी मानसिकता का परिचायक है।
उन्होंने कहा कि मामूली बयानबाजी पर ही दूसरे समुदाय के लोगों को किया जाता है गिरफ्तार,
फिर नूपुर शर्मा को क्यों दिया जा रहा है वीआईपी ट्रीटमेंट एंड क्लीन चीट ?
यह यक्ष प्रश्न पूछते हैं हम भारत के लोग।
नूपुर शर्मा के विभिन्न उच्च स्तरीय राजनेताओं से आंतरिक संबंधों की जांच करने, नूपुर शर्मा गिरोह के सरगना को भी गिरफ्तारी करने, नुपूर एवं उसके संगठन के गोडसे की विचारधारा देश के लिए खतरनाक होने के कारण प्रतिबंध लगाने की मांग महामहिम राष्ट्रपति से करते हैं।
श्री यादव ने सवालिया तौर पर कहा कि सुप्रीम कोर्ट अधिकतर मामलों में सरकार के फैसलों का क्यों कर रहा है बचाव ? सुप्रीम कोर्ट पर क्या है आंतरिक दबाव ? सर्वोच्च न्यायालय क्यों नहीं दे रहा है गिरफ्तारी करने का आदेश ? उक्त सवाल सुरसा की तरह मुंह फैलाए हुए हैं लेकिन इसका कोई जवाब कोई सत्तासीन या न्यायपालिका द्वारा नहीं दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि सांप्रदायिक दंगाई हत्यारे खुलेआम घूम रहे हैं। कोर्ट की लाचारी का फायदा उठा रहे हैं। सत्ता का खुला संरक्षण मिल रहा है आखिर किसके इशारे पर देश को विभाजन की परिस्थिति पैदा किया जा रहा है । कहा कि दक्षिणपंथी फासिस्ट शक्तियों और पश्चिमी देशों की मिलीभगत से भारत में गृहयुद्ध कराने की साजिश रची गई है।

*उन्होंने कहा कि निम्न उद्धरण से उक्त बातें स्पष्ट हो जाती है, सर्व विदित हो कि* अहमदाबाद सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच के सामने बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता ने अपने खिलाफ देश भर में दर्ज केस एक जगह दिल्ली ट्रांसफर करने की गुहार लगाई थी और कहा था कि उन्हें अभी इस मामले में खतरा है।
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको खतरा है या आप देश के लिए खतरा हैं। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए कहा कि अभी तक नुपुर के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई ?
शीर्ष अदालत ने कहा कि नुपुर शर्मा को अपने बयान के लिए बिना शर्त देश से माफी मांगनी चाहिए। यह बयान बेहद परेशान और व्यथित करने वाला है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन्होंने बयान देखा है और यह बयान बेहद परेशान और व्यथित करने वाला है। नुपुर ने नेशनल टीवी पर मुहम्मद साहब के बारे में जो टिप्पणी की उसके बाद देश भर में भावनाएं भड़की है।
जब लोगों का गुस्सा फूटा तो उन्होंने शर्त के साथ माफी मांगी कि इस बात का क्या मतलब है। उनके बयान के कारण ही देश में भावनाएं भड़की हैं। क्या माफी मांगने से देश की गिरी प्रतिष्ठा की भरपाई हो जाएगी ?
जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि देश भर में उदयपुर समेत जो कुछ भी घटनाएं हो रही है उसके लिए नुपुर का बयान जिम्मेदार है।
इस दौरान नुपुर के वकील मनिंदर सिंह ने कहा कि वह बिना शर्त लिखित माफी मांगने को तैयार हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बहुत देर हो चुकी है और नुपुर नैशनल टीवी पर जाकर देश से अपने बयान के लिए माफी मांगे।
*दिल्ली पुलिस पर की टिप्पणी*
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी राष्ट्रीय पार्टी के प्रवक्ता का टीवी डिबेट के दौरान बयानबाजी में कुछ भी बोलने का लाइसेंस नहीं मिल जाता है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके हावभाव में घमंड दिखता है। वो नीचे की अदालत जाने के बजाय सीधे सुप्रीम कोर्ट आती हैं। पुलिस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि आपने अभी तक नुपुर पर क्या कार्रवाई की।
आपने तो रेड कार्पेट बिछा रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया और कहा कि नुपुर इस मामले में हाई कोर्ट जा सकती हैं। कोर्ट का रुख देखते हुए नुपुर ने याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान टिप्पणी करते हुए कहा कि नुपुर शर्मा का बयान व्यथित करने वाला है और उनके बयान में अहंकार की बू आती है। इस तरह के बयान का क्या मतलब है।
इस बयान के कारण ही देश में दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं हुई है। ये लोग धार्मिक नहीं हैं ये अन्य धर्म के लोगों का सम्मान नहीं करते हैं। यह सब बयान व टिप्पणियां सस्ता प्रचार पाने के लिए किया गया है और राजनीतिक एजेंडे और नफरत व घृणा वाले एक्टिविटी के लिए किया गया है।
लेकिन कानून के जानकार लोगों , भारत के प्रबुद्ध लोगों , देश विदेश के सभी जागरूक लोकतांत्रिक संस्थाओं में एक साथ मैसेज चला गया है कि भारत की न्यायपालिका गहरे दबाव में काम कर रही है । सभी न्यायाधीशों के खिलाफ गहरा षड्यंत्र है।
इसीलिए किसी की बोली नहीं खुल रही है। इस मामले में भी कोर्ट ने महज टिप्पणियां की, चैनल की मालकिन संपादक नाविका कुमार से लेकर नूपुर शर्मा के खिलाफ गिरफ्तारी या कोई भी कानूनी कार्रवाई करने का स्पष्ट व सीधा निर्देश नहीं दिया है।
इससे पता चलता है कि भारत की न्यायपालिका जो 8 वर्ष पूर्व भी समाप्त हो गई थी, उसकी निष्पक्षता विश्वसनीयता भी दिनोंदिन और गहरी खाई में गिर रही है । आम लोगों का भरोसा कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से उठ गया है।
यहां भी कम से कम न्यायालय ने हस्तक्षेप तो किया लेकिन बेहद देर से. इतने संवेदनशील मुद्दे पर उसने विलंब से सुनवाई की और महज टिप्पणियां करके आधे अधूरे ढंग से निर्देश ही दिया। कोई सीधा और साफ कार्रवाई प्रशासन को नहीं दी। जबकि कहा गया है कि जस्टिस delay is justice denyed. शायद गहरे दबाव में चल रहे जस्टिस देने वाले लोग भी भूल गए।

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