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विश्व बंधुत्व के लिए परमार्थ से युक्त जीवन जरूरी पंडित अब्दुल गफ्फार खाँ

प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार

समस्तीपुर : मानव जीवन में एक एक पल. एक एक सास कीमती है, जो पल, जो सॉस गुजर जाता है, वो वापस नहीं आता है, तो इसकी संभाल जरूरी है, इसकी महत्ता को समझना जरूरी है कि परमात्मा ने हमें यह जीवन, यह काया क्यों दिया? इसकी संभाल इसकी कदर केवल दुनिया दारी से युक्त होकर जी लेने से नहीं होती है इसकी समान इसकी दुनिया दामी से मुक्त होकर जी लेने से नहीं होती है इसकी संभाल होती है परमार्थ से युक्त होकर जीवन जीने से, इस एक साश्वत परमात्मा की जानकारी कर इसके एहसास में अपने जीवन के सारे कार्या को करना है ताकि हमसे कोई गलती नहीं हो, तभी तो हमारा जीना मुबारक है, हमें हर कदम फूक फूक कर रखना है अथार्त हमें अपना एक–एक कदम मर्यादा में आगे बढ़ाना है, हमारा कार्य ऐसा हो जो हमारे लिए तो हितकारी होही लेकिन दूसरों के लिए भी कल्याणकारी हो। आज दुनिया में वैमनुष्यता कठोरता, कन, निदर्यताहर और दिखाई देती है उससे निजात के लिए ही सतों ने परमार्थ का रास्ता बताया है परोपकार बाला रास्ता बताया है इसी परोपकार को करतें हुए कितने ही संतो महात्माओं ने अपने जीवन का बलिदान दिया, ताकि मानवता जीवित रहे इंसानियत कायम रहे। कहते है कि डुवना है तो कही भी छोटी-बड़ी नहीं तालाब में डूब सकते हैं, लेकिन पार करने के लिए किनारा का सहारा लेना ही पड़ता है, इसी प्रकार संसार भी निरर्थक, मिथ्या लोभ, मोह, अहंकार जैसे अंधकार में डूबने को तैयार है, इससे पार उतारा के लिए तो संतों महात्माओं ने हमें परमार्थ, परपोकार, सद्आचरण, विश्वबंधुत्व वो निर्मलता वाला रास्ता दिखाया है, उसी पर चल कर हम इस संसार रूपी भवसागर में डूबने से बच सकते है. अन्यथा तो हमें कोई नहीं बचा सकता, क्योंकि परमार्थ की रोशनी से युक्तराह पर चलने के लिए तो हमें सन्तों महात्माओं के रास्ते को ही अपने जीवन में पहल देनी होगी, तभी ईर्ष्या, द्वेष, नफरता वैर, वैमनुष्यता, कठोरता, कटुता, निर्दयता, असहिष्णुता जैसे, अनगिनत विकृतियों से बने भवसागर से हमारा पार उतारा संभव है, वरना तो डूब ही जाना है, किनारा पाने के लिए समय के सद्गुरू कीशरणा गति से प्राप्त ब्रह्मज्ञान निरंकारी सत्संग भवन जूटमिल रोड समस्तीपुर में केंद्रीय प्रचारक दिल्ली से आये संत पंडित अब्दु गफ्फार खाँ ने अपने प्रवचन में कहा।

यमुना अवसर पर राजेश पासवान (जवाहर प्रसाद जी संयोजक) प्रमुख प्रसाद जी जगदीश जी, राम प्रकाश जी, रामकरण शर्मा, मिथलेश जी, शुशिल भगत, प्रमोद जी, प्रभाकर जी, बच्चा शर्मा, मोती लाल जी. गंगा बहन, निलमबहन, किरण बहन सहित सैकड़ों की संख्या में प्रभु प्रेमी सन्त महात्मा उपस्थित थे। अवसर पर विशाल लंगर की भी व्यवस्था थी।

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