प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार
समस्तीपुर। स्वच्छ हवा ऑक्सिजन से भरपूर, शुद्ध भोजन, संग मिल्लू रिश्ते, आपसी सामंजस्य आज के दौर में पीछे छूटते जा रहे हैं। हमसे हमारी वास्तविकता छीनती जा रही है। इसका कारण समय से पहले जरूरत से ज्यादा आधुनिकीकरण है। गाँधी के सिद्धांतों से हम कोषों दूर खड़े हैं। अब तो डब्लू०एच०ओ ने भी स्पष्ट रूप से कहा है कि इंसानी जीवनकाल अधिकतम 60-70 वर्षों का होगा। लेकिन एक विकल्प है जिससे हम पुनः वास्तविकता की ओर लौट सकते हैं। जहाँ एक-दूसरे फिर रिश्तों की अहमियत को समझेंगे। जहाँ पैसों से अधिक मानवीय मूल्यों की कीमत होगी। समाज में आने वाले अतिथियों को अपने अतिथि के समरूप समझा जाएगा। कमज़ोरों एवं दबे कुचलों को आगे बढाने के लिए पूरा समाज एकत्रित होगा। जहाँ दुःख-सुख साथ मिलकर बिताया जाएगा। किसान सिर्फ चुनावी भाषणों में नहीं वास्तविक रूप से भगवान समझे जाएंगे। अगर जीवन व्यतीत करने की हम ऐसी परिकल्पना करते हैं। तो आ अब लौट चले गाँव की ओर।