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लॉकडाउन से प्रभवित हुई ग्रामीण इलाके में जिंदगियां

दिनारा संवाददाता

रोहतास जिला के दिनारा प्रखंड क्षेत्र में वैश्विक महामारी कोरोना वायरस से बचने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से गांवो
मे रहनेवाले लोगो की जिंदगी प्रभावित हो गई है। इस लॉकडाउन की मार से ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी चरमरा गई है। किसानों द्वारा उत्पादित
खाद्यान्न् व सब्जी के सही दाम नहीं मिल रहे हैं। अच्छी पैदावार के बावजूद खाद्य पदार्थों और कृषि उत्पादों की वितरण व्यवस्था बाधित हो रही है। हरी सब्ज़ियों को मंडियों तक पहुंचा पाना मुश्किल हो गया है और ये
खेतों में ही खराब होने लगे हैं। जिसके कारण किसानो को चारो तरफ से आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।

महरोड़ गांव के सब्जी उत्पादक किसानो की नही निकल रहा टमाटर तुडाई की मजदुरी
घाटा होने से खेतो से नही तोड़ रहे टमाटर दो सौ से अधिक किसान करते है सब्जी की खेती
प्रखंड का महरोड़ गांव सब्जी उत्पादक किसानो के हब के रूप में जिले में प्रसिद्व है। जहां के किसान कई वर्षो से सब्जी का उत्पादन करते है। यहां
बिहार के कई शहरो के अलावा दुसरे राज्यो में भी सब्जियां भेजी जाती है।
जहां दो हजार से अधिक बीधे में टमाटर व बैगन की खेती की गई है। जहां टमाटर उत्पादक किसानो की अधिक संख्या के कारण यहां जिले का पहला टमाटर प्रोसेसिग हब बनाया गया है। लेकिन लॉकडाउन के कारण ग्रामीण सब्जियां काफी सस्‍ती हो गई हैं, इसका नकारात्‍मक असर किसानों की आमदनी पर पड़ा है।
सब्जी की बिक्री में उन्हें मुनाफा तो दूर लागत निकलना भी मुश्किल हो गया
है। दरअसल पहले जहां किसान हरी सब्जी को गांव से शहर बेचने के लिए ले जाते थे, जहां उनकी सब्जी बिकती भी थी और मुनाफा भी मिलता था। मगर लॉकडाउन में स्थिति बदल गई है।वर्तमान समय में हरी सब्जी को गांव से बाहर निकाल पाना मुश्किल है। किसान सरोज सिह, अजय कुमार सिह, चंदन कुमार,रामलखन सिह, प्रेम कुमार, कमलेश कुमार, परशुराम सिह, उमाशंकर सिह,धर्मदेव सिह,जयगणेश सिह, रमेश सिह, छत्रबलि सिह आदि ने बताया कि इसबार टमाटर की उपज काफी अधिक हुई है लेकिन कोई लेनेवाला नही है। एक रू किलो से भी कम भाव बिक रहा है टमाटर। एक कैरेट जिसमें 25 किलो टमाटर होता उसकी तुडाई के लिए 20 रू मजदुरी देनी पड़ रही है। और वह भी कोई लेनेवाला नही है। बाहर से व्यापारी नही पहुच रहे है। इसलिए किसान खेतो में ही टमाटर छोड़ दिए है। वही दो दिन से हो रही वर्षा से टमाटर सहित अन्य सब्जियो को काफी क्षति भी हुई है।
किसानो ने कहा कि इस आपदा के कारण किसानों की आमदनी और कर्ज़ चुका पाने
की क्षमता कम हो गई है। बहुत से किसान बैंक से कर्ज लेकर खेती किए है।
किसानों के कर्ज़ की रिकवरी, किश्तों के भुगतान को सरकार से रोकने की मांग
की है।

चाय व मिठाई दुकानो के बंद होने से दूध की मांग घटी

गांव में किसानो को दूध उत्पादन और पशुपालन से कृषि की एक-तिहाई आय होती है। लेकिन लॉकडाउन में चाय व मिठाई दुकान बंद होने के कारण दूध व दुग्ध जनित पदार्थो की बिक्री बंद होने से दुध उत्पादक पशुपालको को काफी आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ रहा है। वही शादी विवाह के मौसम में पशुपालको को दूध से काफी मुनाफा होता था। वह भी इसबार नही हो रहा है। प्रखंड के दूबेडिहरी,असिया,तेनुअज, नटवार, दिनारा,गुनसेज, खनिता, महरोड़, सहित कई
गावो के किसान दूध से पनीर निकालने का व्यवसाय करते है। जिसे आसपास के बाजार के बाजार के अलावा दुसरे जिले में भी जाकर बेचते है। लेकिन उसकी बिक्री भी बंद हो गई है। दुबे डिहरी गांव के पनीर उत्पादक किसान उमेश
सिह, संजय सिह, बचन सिह, कुबेर सिह, रामएकबाल सिह, सुदर्शन सिह, शिवमंगल सिह, हरेराम सिह, बिनोद सिह ,किशुनपुरा गांव के शिवमंगल सिंह, अयोध्या सिंह ने बताया कि लॉकडाउन के कारण पनीर व दूध की
मांग और खरीद कम हो गई है। इससे दूध के दाम 30 प्रतिशत तक घट गए हैं और
किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। खल, चूरी, बिनौला, छिलका, मिश्रित पशु-आहार बाजार में कम आने के कारण इनके दाम बढ़ गए हैं। इससे किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। दूध का उचित मूल्य नही मिलने के कारण किसान पशुओं को उचित मात्रा में पौष्टिक आहार नहीं दे पा रहे है जिससे पशुओं ने दूध
देना भी कम कर दिया है।

रोज कमा कर खाने वालों के सामने रोटी का संकट

कोरोना संक्रमण रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन से रोज कमाकर खाने वालों के
सामने दो वक्त की रोटी का जुगाड़ करना मुश्किल हो रहा है। खासकर हलवाई,
नाई, मोची,पान दुकानदार,प्रिटिंग प्रेस, कुम्हार, मालाकार, रिक्शा चलाने
और दिहाड़ी मजदूर सहित सड़को पर दुकान व ठेला लगाकर अन्य छोटे काम कर
परिवार को दो जून की रोटी देनेवालो के सामने पेट पालने का संकट है।
ग्रामीण बाजार दिनारा, नटवार,सरांव, खनिता, भड़सरा की सड़कों पर दर्जनो लोग
दुकान लगा कर अपना व परिवार का पेट पालते थे। इसमें से बहुत से लोग खाने-पीने की दुकानें ठेले व फुटपाथ पर लगाते थे। बड़ा तबका इनकी दुकानों
पर चाउमीन, चाट, छोले, भटूरे समोसे, चाय व अंडे खाता पीता था। इसके अलावा भी तमाम लोग छोटी मोटी दुकानें फुटपाथ पर लगा कर गुजारा करते थे। लेकिन
लॉकडाउन में इनकी आमदनी बंद हो गई हैं। जिससे चारों तरफ तबाही का माहौल है

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