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बिहाररोहताससासाराम

पोषण अभियान को जनआंदोलन में तव्दिल करने में  रोहतास जिला अव्वल 

1791229 लोगो की सहभागिता से  पोषण गतिवधियां बनी जनआंदोलन   

सासाराम संदीप भेलारी

पोषण के संदेश को जन-जन तक पहुँचाने की दिशा में जिला पूरे राज्य में प्रथम स्थान पर है। कुपोषण जैसी गंभीर समस्या से जिला को मुक्त करने के लिए 16 मार्च से 31 मार्च तक पोषण पखवाड़ा चल रहा है। इसके तहत पोषण अभियान जन आंदोलन डेशबोर्ड पर अपलोड हुये आंकड़ों/प्रविष्टियों के अनुसार सुपोषण को केवल एक कार्यक्रम तक सीमित नहीं रखकर बल्कि उसमें अधिकतम सामुदायिक सहभागिता सुनिश्चित कराने में रोहतास अन्य जिलों से काफी आगे है

53241 गतिविधियों का हुआ आयोजन

जिला कार्यक्रम पदाधिकारी (आईसीडीएस ) सुनीता ने बताया पोषण पखवाड़े के दौरान जिले में कई अलग अलग गतिविधियां जैसे   पोषण रैली , गृहभ्रमण, पोषण कार्यशाला, बैठक गोदभराई, अन्नप्रासन और अन्य आंगनवाड़ी गतिविधियां का आयोजन हुआ है। जिसमें अधिक से अधिक सामुदायिक भागीदारी को सुनिश्चित कराने का प्रयास किया गया है। पखवाड़े के  प्रथम सप्ताह (22 मार्च ) तक कुल  53241 गतिविधियों का आयोजन हो चुका है जिनमें जिले के  कुल 1791229 लोगो की सक्रिय भागीदारी रही और उन्होने पोषण के महत्व और आवश्यकता  के बारे में जाना । इनमें क्रमशः 5,13,531 पुरुष  , 4,87,421महिला , 3,34,342बालक  और  3,18,415 बालिकाओं  के सहभागिता के साथ जिला पहले स्थान पर है। इसके आगे भी विभाग दिये गए लक्ष्य  को शत  प्रतिशत प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है

बौनापन  की समस्या में भी दिखा बेहतर सुधार
सुनीता आगे बताती हैं इससे पहले भी विभाग के सम्मिलित  प्रयासों से जिले में बोनापन की समस्या में काफी सकरत्म्क सुधार आया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण- 5 (2019-20 ) के पोषण सूचकांकों के अनुसार वर्तमान में जिले के शिशुओं में 40.0 प्रतिशत बौनेपन की समस्या है। जो की राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-4(2015-16) में  48.5 प्रतिशत थी । यानि विगत 5 सालों में  8.5 प्रतिशत की कमी दर्ज की गयी

सुपोषण के लिए आवश्यक है व्यवहार में परिवर्तन

पोषण की आवश्यकता हर उम्र में है । माँ के गर्भ में आते ही शुरू हो जाती है और जीवन के प्रथम हजार दिन,किशोरावस्था,शादी की उम्र जीवन के अंतिम क्षणों तक होती है।लेकिन  गर्भवतियों ,महिलाओं  किशोरियों  और शिशुओं में पोषण या पोषाहार को लेकर अभी भी  व्यवहार  में परिवर्तन  की आवश्यकता है। ताकि हमाऋ अगली पीढ़ी सुपोषित हो। इसके लिए बच्चों में  भोजन से पहले  हाथ धोने के अभ्यास  पर भी सतर्क रहने की आवश्यकता है

उपलव्ध संसाधनों का करें प्रयोग

सुनीता बताती हैं मौसमी फल और सब्जियाँ  पोषण और शरीर के लिए आवश्यक तत्वों से भरपूर होती हैं। ये आसानी से उपलव्ध और सभी आयवर्ग के पहुँच में भी होती हैं।इसलिए महंगे फलों और अन्य भोज्य पदार्थों की अपेक्षा अपने आस-पास उपलव्ध संसाधनों को आहार में शामिल करें।दलिया , गुड , चना हरी साग-सब्जियाँ, दूध , अंकुरित साबुत आनाज ये सब ज्यादा महगे भी नहीं होते है और इनमें सम्पूर्ण पोषण भी मिलता है। पोषण पखवाड़े के दौरान समुदाय के लोगों को इन बातों के बारे में विस्तार  से चर्चा की जाती है

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