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जल दिवस पर बोले प्रयाग फाउंडेशन के रोहतास जिला अध्यक्ष, जल ही जीवन है—-सुनील कुमार

सासाराम संदीप भेलारी

रोहतास अन्तर्राष्ट्रीय न्यायिक मानवाधिकार संरक्षण रोहतास सह दहेज मुक्त विवाह कार्यक्रम रोहतास सह प्रयाग फाउंडेशन रोहतास के जिलाध्यक्ष सुनील ने बताया कि विश्व जल दिवस है, इस दिवस को मनाने की पहली अंतर्राष्ट्रीय पहल सन् 1992 ई. में ब्राजील की राजधानी “रियो डी जेनेरियो” में आयोजित “पर्यावरण तथा विकास का संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन”यूएनसीईडी में की गई थी। जिसके परिणाम स्वरूप अगले वर्ष यानि सन् 1993 ई .में पहली बार 22 मार्च के दिन पूरे विश्व में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य किया गया इसलिए प्रतिवर्ष 22 मार्च को पूरे विश्व में जल दिवस के रूप में मनाया जाता है। जल दिवस मनाने का प्रमुख उद्देश्य यह है की विश्व के सभी देश जल के संरक्षण और उसके रख – रखाव के बारे में ठोस कदम उठाये।
एक व्यक्ति अपने पूरे जीवनकाल में लगभग 60,000 लीटर पानी पी जाता है।
हमारे देश के सारे अखबारों को एक दिन की छपाई के लिए लगभग 2,000 लाख गैलन पानी की ज़रूरत होती है।
एक किलोवाट जल विध्दुत के लिए 400 गैलन पानी की आवश्यकता होती है।
दूषित पानी पीने से दुनिया भर में हर साल लगभग 22 लाख लोग मरते हैं।
एक व्यक्ति बिना भोजन किये 2 महीने जीवित रह सकता है लेकिन पानी पिये बगैर मुश्किल से एक हफ्ता ही जीवित रह सकता है।
दुनिया भर में प्रति 10 व्यक्तियों में से 2 व्यक्तियों को पीने का शुद्ध पानी भी नहीं मिलता है।
हमारी पृथ्वी का लगभग 71 % हिस्सा जल से भरा है, जो कुल एक अरब 40 घन किलो लीटर पानी के रूप में है। लेकिन इसमें से 97.3 % पानी समुद्र में है, बाकि शेष 2.7 % पानी नदियों, तालाबों और कुँओं में है।
जल संरक्षण के कुछ उपाय करके जैसे घरों में पानी की जितनी आवश्यकता हो उतना ही पानी घर में रखे।नल से होने वाले पानी के रिसाव को रोके।वर्षा के जल का संरक्षण करें और उन्हें प्रयोग में लाये।पानी का दुरूपयोग ना करें। जितनी आवश्यकता हो उतना ही इस्तेमाल करें।नदियों और तालाबों को स्वच्छ रखे और दूसरे लोगों से भी ये अपील करें।
केंद्र और राज्य सरकार मिलकर जल संरक्षण पर विशेष ध्यान दे।

हमें जल के संरक्षण और उसकी साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए क्योंकि “जल” है तभी तो आपका और हमारा “कल” है। जल ही जीवन है और हमारे जीवन का अमूल्य धन है। वैसे भी कहा जाता है कि अगर दुनिया में तीसरा विश्व युद्ध होगा तो वो इसी जल के लिए ही होगा। जल का अपव्यय रोकेंने, जल संरक्षण में अपना सहयोग प्रदान करेंने, जल ही हमारा जीवन हैं को सार्थक प्रयास में लाने के प्रति जागरूक कर हर लोगों तक पहुंचाने का काम किया जाए जिससे आने वाले ग्रीष्मकालीन समय में चापाकल को सुखने से बचाने होगें। जिसमें सभी का सामूहिक दायित्व बनता है

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