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नवजातों में डिहाइड्रेशन के लक्षणों की नहीं करें अनदेखी 

डायरिया से बचाने के लिए कराएं नियमित स्तनपान

ओआरएस और जिंक का घोल करता है डिहाइड्रेशन से बचाव     

सासाराम संदीप भेलारी

रोहतास नवजात और छोटे बच्चों का शरीर बदलते मौसम को लेकर सबसे ज्यादा संवेदनशील होता है। मार्च का महीना बीत रहा और अप्रैल आने को है तो उसके साथ धीरे –धीरे गर्मी भी बढ़ रही है। हालाँकि अभी भी रात में कुछ ठंड रहती है। ये सर्द –गर्म का मौसम शिशुओं को जल्दी प्रभावित करता है। इस स्थिति में डायरिया की समस्या आसानी से हो सकती है। जिसका ससमय प्रबंधन और ख्याल न रखा जाए तो यह  ज्यादा गंभीर हो सकता है। कोरोना संक्रमण के मद्देनजर अभी किसी का भी ज्यादा बीमार पड़ना उचित नहीं है। इसलिए बच्चों में डायरिया के लक्षणों के प्रति सतर्क रहें । उन्हें डिहाइड्रेशन से बचा कर एवं सही समय पर उचित प्रबंधन कर डायरिया से सुरक्षित रखें।

नियमित स्तनपान से शिशु का डायरिया से होता है बचाव

जिला सदर अस्पताल के शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ.दिलीप कुमार सिंह  ने बताया लगातार दस्त होने से बच्चों के शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इसलिए पानी की कमी दूर करने और डायरिया से बचाने के लिए शिशुओं को अधिक से अधिक स्तनपान करवाएँ। 6 माह तक नियमित  स्तनपान कराने से शिशु का डायरिया एवं निमोनिया जैसे गंभीर रोगों से बचाव होता है। इसलिए बाहर का कुछ भी नहीं पिलाएँ केवल स्तनपान करवाएँ।

माताएँ इन लक्षणों के प्रति रहें सतर्क: डायरिया के शुरुआती लक्षणों का ध्यान रख माताएं इसकी आसानी से पहचान कर सकती हैं। इससे केवल नवजातों को ही नहीं बल्कि बड़े बच्चों को भी डायरिया से बचाया जा सकता है। लगातार पतले दस्त आना, बार-बार दस्त के साथ उल्टी का होना , प्यास बढ़ जाना , भूख का कम जाना या खाना नहीं खाना , दस्त के साथ हल्के बुखार का आना , कभी कभी स्थित गंभीर हो जाने पर दस्त में खून  भी आना खास लक्षणों में प्रमुख है।

बड़े बच्चों को दें ओआरएस और जिंक का घोल

दस्त के कारण शरीर से पानी के साथ जरूरी तत्व या एल्क्ट्रोलाइट्स जैसे सोडियम, पोटैशियम  क्लोराइड एवं बाईकार्बोनेट भी कम हो जाता है। इसलिए उसकी कमी दूर करने के लिए बच्चों को ओरल रीहाइड्रेशन सोल्युशन(ओआरएस)और जिंक का घोल दें। जिससे डिहाइड्रेशन में कमी और डायरिया से बचाव होगा। लेकिन यदि लगातार ओआरएस का घोल  देने के बाद भी  राहत न मिले तो बिना विलम्ब किये  तुरंत नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सक के पास  जाएँ ताकि शीघ्र इलाज की समुचित व्यवस्था हो सके। ऐसे स्थिति ज्यादा देर होने से बच्चे को अन्य गंभीर रोगों जैसे एक्यूट ब्लडी डायरिया आंत में संक्रमण,अतिकुपोषण जैसी  समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। स्वास्थ्य केन्द्रों पर  ओआरएस के पैकेट  निःशुल्क उपलब्ध हैं, इन्हें आसानी से घरों में भी बनाया जा सकता है। लेकिन इन्हें बनाते समय स्वच्छता का ख्याल रखना आवश्यक है। घोल बनाने के लिए साफ  पानी और बर्तन का इस्तेमाल करें। घोल बनाने का पानी उबाल कर ठंडा कर इस्तेमाल में लाएँ तथा एक बार में उतना घोल ही बनाएँ जितना आपका बच्चा पी सके। ज्यादा देर पहले बने ओआरएस का घोल ना पिलायें

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