संवादाता संझौली, सोनू कुमार
तुलसी के पौधों की पूजा करने की परंपरा कई दशकों से हैं। तुलसी केवल एक पौधा ही नही बल्कि धरा के लिए एक वरदान हैं। हिन्दू धर्म मे इसे पूजनीय माना जाता हैं। आयुर्वेद में तुलसी को अमृत कहा जाता हैं। उक्त बातें वैघ बिहारी जी ने गुणो की परिचर्चा में कहीं। वे संझौली के काली मंदिर में प्रवचन कर रहे थे। उन्होंने कहा की तुसली को आठ नामो से जाना जाता हैं। विश्वपानी, विश्वपूजिता, पुस्प्सारा, नन्दनी, तुलसी व कृष्णजीवनी। तुलसी में अनेकों महत्वपूर्ण गुण विघमान हैं। उन्होंने कहा की डिफेंस रिसर्च व डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन के मुताबिक तुसली में आक्सीडेंट हैं। आण्विक विकिरणों से क्षतिग्रस्त केशों को स्वस्थ बना देती हैं। तुलसी संक्रामक रोगों जैसे टीवी, मलेरिया इत्यादि की चिकित्सा में बहुत उपयोगी हैं। तुलसी के नियमित सेवन से शरीर मे विघुतिय शक्ति का प्रवाह का नियंत्रित करता हैं व व्यक्ति की आयु बढ़ती हैं।