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तिलौथू के कोचिंग, संस्थानों में मास्क और सोशल डिस्टेंस की उड़ाई जा रही है धज्जियां

स्कूल स्तर पर विद्यार्थीयो ने नया नारा निकाला अपने स्कूल वेश न् आकर अपना घरेलु देश में जाकर

संवाददाता तिलौथू प्रीती कुमारी

आज आपको बता दे की विद्यार्थियों की पढ़ाई को लेकर अब समाज में एक बहुत ही बडा सवाल खड़ा हो गया है, कि अगर अब बच्चे नहीं पढ़ते हैं तो उनका भविष्य उज्जवल कैसे होगा और क्या होगा। इस कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में कितने बच्चे डर से बाहर तक निकलना भी बंद कर दिए तो आज वहीं उन्होंने सभी ने ठाना है कि अब स्कूल जाना है अपने भविष्य को उजाला बनाना है। इसी क्रम में आज बहुत सारे जगहों पर विद्यालय शुरू भी हो चुका है। लेकिन लोग मास्क, ग्लोवेस्, और सोशल डिस्टेंसिग का पालन नहीं कर रहे हैं। स्कूलों में और संस्थानों में जमकर इसका धज्जियां उड़ाया जा रहा है। लोग कोरोना जैसी भयंकर बीमारी को भुला गए हैं। इसीलिए लोग सडको, बाजारों और स्कूलों में बहुत ही भीड़ के साथ जमकर चल रहे हैं। लोगो के मन से भय का डर ही निकल गया है। इसीलिए तो बच्चे भी स्कूलों में बिना मास्क व् यूनिफार्म में भी नज़र नहीं आते हैं। बच्चे अपने मनमानी करते हुए स्कूल में जाते हैं लोग यूनिफार्म तक नहीं पहनते है क्योकि अब सारे बच्चे ये सोचते हैं कि अब तो किसी तरह से परीक्षा देकर अगले कक्षा में चलें जाए बिना किसी रुकावट किये हुए। इसीलिए बच्चों ने अपना सारा समय अब पढ़ाई पर लगा रखे हैं क्योकि उनको भी पता है कि कितना लॉस हुआ है।अब हर हाल में कोरोना को हराना है इसीलिए लोगों ने एक साथ मिलकर अपना कदम उठाया है, लोगों के मन से कोरोना जैसे वैश्विक महमारी का तो नाम व् निशान् ही मिटा डाला है। तो वहीं बच्चों को अपने माता- पिता की कदर और कीमत समझ आई की माता- पिता उनके लिए दिन रात करके लॉक डाउन में घरो के खर्चा चला रहे थे और स्कूलों के फी जमा कर रहे थे। इसी लिए अब सभी बच्चे एक उमंग और उत्साह के साथ स्कूलों में कदम रखते हैं अब कुछ सही में करना है जो एक सभी के लिए छाप छोड़ जाए। सभी बच्चों में इतना जिज्ञासा भरा है कि अब उन्हें पढ़ाई का असली मतलब समझ आ रहा है, क्योकि आपने वह कहावत तो सुना ही होगा कि जब किसी कोई सामने रहता है तो लोग उसकी कदर तक नहीं करते है और बाद में चलें या छोड़ने के बाद उसका सही मतलब और कीमत समझ आता है। आज ठीक उसी तरह से बच्चों से उनका पढ़ाई कोरोना ने छीन लिया था और अब जाकर खुला है विद्यालय तो उन्हें पढ़ाई का मतलब और इसकी कीमत समझ आई है। अब बच्चों का कहना है कि अब हमारी विद्यालयों को खोला जाए जिससे वह सभी अपना भविष्य बनाये और अपने माता पिता का नाम रौशन कर सके। पढ़ाई का असली मतलब लोगों को तब समझ आता है जब हमारे पास सब कुछ होता है मगर ज्ञान नहीं होता है कि उसका सही उपयोग किया जा सके और उस मुकाम को हासिल किया जा सके।

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