ब्यूरो चीफ रोहतास संदीप भेलारी
रोहतास जिला को धान के कटोरा कहे जाने वाले जिले में सरकारी उदासीनता व पैक्सों की मनमानी रैवये के कारण किसानों का धान खरीदने में टालमटोल किया जा रहा है. पूरे जिले मेंं अब तक समर्थन मूल्य पर धान की खरीद शुरू नहीं होने से किसानो को औने-पौने दाम पर अपनी उपज साहूकारों के हाथ बेचना पड़ रहा है. एक ओर जरूरत के काम निपटाने हैं तो दूसरी और मौसम भी इसकी वजह बन रहा है. मौसम की बेरूखी से किसानों की चिंताए बढ़ गई है कि खलिहान में अधिक दिन तक धान रखना कही महंगा न पड़ जाए. जबकि सरकार द्वारा निर्धारित रेट केवल विज्ञापनों में ही सिमट कर रह गयी हैबिहार सरकार द्वारा किसानों से धान अधिप्राप्ति हेतु विज्ञापन प्रकाशित किया जा रहा है कि बिहार सरकार के निर्देशानुसार एक ग्रेट धान की कीमत 1888 रुपया और अन्य धान की कीमत 18 सो ₹68 तय किया गया है लेकिन इस रेट पर खरीदार कोई नहीं दिख रहा है किसान फिलहाल 1000 से 1200 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान बेचने को बिचौलियों के हाथों मजबूर हैं रोहतास जिला के 100 प्रतिशत पैक्स के माध्यम से धान की खरीद का दावे कर रही है लेकिन बड़ी परेशानी यह है कि जिला में धान की उपज काप्रतिवर्ष यहां के किसान 12 लाख मेंट्रिक टन से अधिक धान की उपज करते हैं इस बार भी यह 11,84, 509 एमटी धान की उपज जिले में हुई है सरकार ने इस बार जिले से 3:30 लाख मीट्रिक धान खरीद का लक्ष्य रखा है जिससे लगभग 247 पक्षों के माध्यम से खरीदना है 200 सहकारी समितियों को अनुमोदित किया जा चुका है जिले में शनिवार तक सहकारी समितियों द्वारा 7409 मीट्रिक टन धान की खरीदारी हुई है जिला सहकारिता पदाधिकारी समरेश कुमार कहते हैं कि किसान जल्दबाजी में अपना धान बिचौलियों के हाथों 90 जिले से 330000 एमटी धान खरीद के लक्ष्य को पाने के लिए विभाग पूरी तरह से संकल्पित है नियमानुसार अधिप्राप्ति के लिए ऑनलाइन निबंधन करा चुके सभी किसानों के धान की खरीद की जाएगी उन्होंने कहा कि किसानों से हर हाल में समर्थन मूल्य पर धान खरीदने का निर्देश है सहकारी समितियों को दिया गया है साथ में ही किसानों को धैर्य रखने की बात कह बताएं कि इस बार हर साल से अधिक धान खरीदने का लक्ष्य है कहा कि मानक के अनुसार 17% से अधिक नमी वाले धान की खरीद नहीं करनी है इसलिए परेशानी है नोखा निवासी किसान अरविंद कुमार यादव ने कहा कि लघु किसान तो लगभग 80% धान कम दाम पर बिक्री कर दिए हैं कुछ बड़े किसान अभी तक धान खरीद की प्रतीक्षा कर रहे हैं उसमें भी अपने दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु अधिकतम धान कम दाम पर बिक्री कर चुके हैं ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा समर्थन मूल्य का कोई औचित्य नहीं रह जाता है धान खरीद को सरलीकरण एवं शीघ्रता करनी चाहिए ताकि किसानों को सरकारी समर्थन मूल्य प्राप्त हो सके ऐसे नहीं होने पर सरकार विज्ञापन के समर्थन मूल्य देती रहेगी और किसान कम दाम पर धान बिक्री करते रहेंगे