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क्या प्रेम विवाह सही है अथवा गलत ?—सुनील कुमार

ब्यूरो चीफ संदीप भेलारी रोहतास

सासाराम
रोहतास शाहाबाद जिला में अक्सर दो तरह की शादी का प्रचलन है। जिसमें एक माता पिता के द्वारा तय की हुई शादी एवं दुसरा अपने द्वारा लड़का लड़की पसंद के बाद जीवन साथी चुन लेते हैं। जिसमें अधिकांश में परिवार के लोगों के द्वारा विरोध किया जाता है। कहीं कहीं दंपति की जान भी चली जाती है।इस संबंध में सुनील कुमार जिलाध्यक्ष दहेज मुक्त विवाह कार्यक्रम रोहतास सह प्रयाग फाउंडेशन रोहतास ने बताया कि सही गलत का फैसला तो वक्त करता है किंतु प्रेम विवाह में असली संकट अंतरजातीय की समस्या होती है, वर्तमान में भारत मे दो तरह के विवाह होते है – पहला (कास्ट)जाति आधारित जिसमे जाति का बहुत महत्व होता है ,दूसरा इसमे जाति धर्म का महत्व दम तोड़ देता है क्लास ( श्रेणी) आधारित
भारत मे आमलोग जाति आधारित विवाह करते है और एलीट लोग क्लास आधारित कितुं समस्या तब हो जाती है जब कोई दोनो नाव की सवारी करने का प्रयास करता है अतीत में भारत मे लड़कियों को वर चुनने की आजादी थी कितुं बाद के काल मे यह व्यवस्था बंद हो गयी है और नई व्यस्था में भी पिछले 20 वर्षों से काफी दरारें आ गयी है कितुं अभी भी इसकी जड़ें बहुत गहरी है ,कितुं दरारें साफ दिख रहे है ,अब देखते है कि ये दरार लाने वाला का भविष्य कैसा रहता है क्यूंकि काल धीमे धीमे सब छीन लेता है जवानी का जोश भी और नए आये पैसे का रौब भी तब बढ़ती उम्र परिवार और समाज को अधिक महत्व देने लगती है ऐसे में स्थिति जटिल हो जाती है
आजकल एक नई बात चली है कि शादी से पहले एक दूसरे को जान लेना चाहिए थी तो बड़ी अजीब बात है क्योंकि जीवन मे परिस्थिति बदलती रहती है और हर परिस्थिति में अलग अलग व्यक्ति अलग व्यवहार करते है अविवाहित व्यक्ति मिलकर आप उसके विवाहित होने के बाद के व्यवहार का अंदाजा नही लगा सकते है आप को कुछ बातों को काल के हवाले करना ही और टॉलरेंस लानी ही होगी शादी विशुद्ध रूप से एक सामाजिक बंधन है आजकल कुछ अजीब सा पागलपन चला है यह कहने का की लड़का लड़की एक दूसरे को पसंद होने चाहिए परिवार और समाज का क्या ?मुझे यह बिल्कुल समझ नही आता एक मध्यम वर्गीय परिवार का होने के कारण मेरे लिए समाज और परिवार दोनो की सहमति जरूरी है लड़का – लड़की में पसंद शब्द के वजाय आपसी सामंजस्य शव्द प्रयोग होना चाहिए क्योंकि क्योंकि समय के साथ पसंद को नापसंद बनना ही होता है तब सामंजस्य ही आप के रिश्ते को बचाने आता है
आप जो भी करे उसका परिणाम भी आप को ही झेलना होगा कितुं परिवार और समाज को आँखे दिखा कर यह करने की जरूरत नही है आप को इस काम के लिए किसी इतिहास की किताब में क्रांतिकारी के रूप में नही छापा जाएगा ,इसलिये सामन्जस्य और सहमति की सवारी करे वह आप के जीवन की नाव को जरूर पार लगा देगी
सगाई होते ही अक्सर कप शादी के कपड़े, वेन्यू, हनीमून की प्लानिंग करने में बिजी हो जाते हैं। लेकिन इन सबके अलावा भी कई चीज़ें हैं जिनको लेकर शादी से पहले बात ज़रूर करनी चाहिए ताकि आगे चलकर भावी जीवनसाथी के साथ एडजस्ट करने में कोई परेशानी न हो और आपसी प्यार बना रहे। इसलिए एंग्जमेंट के बाद देर रात तक फियोंसी से केवल रोमांटिक गपशप ही नहीं, इन मुद्दों पर भी बात ज़रूर करें
अगर शादी करने जा रहें दोनों लोग नौकरीपेशा हैं या कोई बिज़नेस करते हैं तो शादी के बाद घर खर्च की ज़िम्मेदारी किसके पॉकेट पर होगी, किन चीज़ों में पैसे इनवेस्ट करना है और घर का बजट कैसे तैयार होगा, इन सब चीज़ों पर बात पहले ही कर लें। इससे आपको एक-दूसरे को समझने में भी मदद मिलेगी क्योंकि पैसों के प्रति किसी की समझ और संवेदनशीलता उसके व्यक्तित्व के बारे में भी बहुत कुछ बयां कर देती है।
शादी के बाद ज़िम्मेदारियां बढ़ जाती हैं। इसलिए घर और दफ्तर में संतुलन बनाए रखना भी ज़रूरी है। अगर आपको नौकरी के सिलसिले में टूर पर जाना पड़ता है या फिर आपकी नौकरी में तबादले होते हैं, तो इसे लेकर भी बात ज़रूर करें। साथ ही अपनी वर्किंग शिफ्ट और ऑफिस कल्चर के बारे में भी चर्चा करें। अगर इनसे आपके भावी जीवनसाथी को लेकर कोई कनफ्यूजन या परेशानी है तो उसे भी बात करके दूर करने की कोशिश करें
क्षअक्सर ऐसा होता है कि शादी के कुछ महीने बीतते ही नाते-रिश्तेदार और आस-पड़ोस के लोग रह रहकतर ‘गुड न्यूज़’ के बारे में पूछने लगते हैं। लेकिन यह आपका निजी मसला है और इसका फैसला आप दोनों को ही करना है। शादी के बाद बच्चे कब चाहिए, चाहिए या नहीं, कितने चाहिए और उनकी परवरिश की ज़िम्मेदारी आप आपस में कैसे बांटेंगे इस पर बात ज़रूर करें। ऐसा इसलिए, क्योंकि यह शादी का एक बेहद संवेदनशील पहलू है जिसे लेकर अस्कर मियां-बीवी के बीच मनमुटाव की बातें सामने आती हैं
हर सास को यह आस होती है कि नई नवेली बहू उसकी सेवा करे, उसके साथ रहे और घर के तौर तरीके सीखे। लेकिन अगर बहू नौकरीपेशा है तो ज़ाहिर है शादी के बाद वह उन्हें उतना वक्त न दे पाए जितना सास-ससुर उससे उम्मीद रखते हैं। इसलिए शादी से पहले इस बारे में भी बात करें कि शादी के बाद लड़की की घर के प्रति कितनी ज़िम्मेदारी होगी, सास-ससुर साथ रहेंगे या नहीं, उनकी देखभाल कौन करेगा
वैसे तो लव मैरेज करने जा रहे लोग इन बातों पर पहले ही बात कर लेते हैं। लेकिन अरेंज मैरेज में, जहां शादी-ब्याह से जुड़े फैसले अमूमन घर के बड़े ही करते हैं, वहां लड़के और लड़की के लिए इन पहलुओं पर बात करना और इनसे जुड़ी परेशानियों का हल निकालना बेहद ज़रूरी है

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