संवाददाता–मो०शमशाद आलम
करगहर। चुनावी बिगुल बजते ही अब गांव घर में चौपालों, चाय पान की दुकानों आदि जगहों पर चुनावी बहस छिड़ने लगी है। राजनीतिक जानकारों व चुनावी पंडितों की तरह चुनावी ज्ञान बंटने लगा है।
लोग राजनीतिक दलों के चुनावी गठबंधन से लेकर स्थानीय स्तर पर संभावित उम्मीदवारों तक उनके मतों के आंकड़े तक आंकने लगे हैं। जीत हार के प्रतिद्वंद्वी दो मुख्य दलों के अलावा अन्य संभावित उम्मीदवारों के मतों तक के गुणा भाग अंगुली पर कर समझाने में लोग मशगुल हो रहे हैं। जबकि अभी औपचारिक रूप से किसी भी दल ने यहां अपने प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं किया है।
सोमवार को करगहर ,बड़हरी ,खरारी बाजार के विभिन्न चाय पान के दुकान पर लोगों ने चाय पीते पाना खाते चुनावी बहस शुरू की। इस बहस के दौरान मतदान के दौरान पड़ने वाले जाति, विकास, स्थानीयता जैसे मुद्दों को लेकर अपनी बात रखते दिखे। हर कोई अपने अपने तर्क से पूर्ववर्ती सरकारों से लेकर भविष्य का ताना बाना बुनने वाली संभावनाओं को लेकर अपनी डफली अपना राग अलाप रहे थे। कुछ युवा बेरोजगारी व उद्योग धंधों के विकास को लेकर सरकार की नीति को आइना दिखा रहे थे। कुछ बिजली, पानी, सड़क व विधि व्यवस्था को लेकर पिछली व वर्तमान सरकार की तुलना गिना रहे थे। कुछ इससे इतर जाति समीकरण पर हार जीत का अंतर भेद रहा था। अंतत: इन युवाओं ने कहा कि हमें ऐसी सरकार चाहिए जो बेरोजगारी, शिक्षा, उद्योगधंधों की भी बात करें। बिजली, पानी, सड़क जैसी मूलभूत सुविधाओं से कोई समझौता न हो। हमारा जनप्रतिनिधि शासक नहीं सेवक की भूमिका में रहे।