बादल हुसैन
मधुबनी:-भारत-नेपाल अन्तर्राष्ट्रीय सीमावर्ती क्षेत्र के लोगो के लिये लाइफ लाइन माने जाने वाले नवनिर्मित जयनगर-जनकपुर-कुर्था (नेपाल)रेलमार्ग पर शुक्रवार को पहली ट्रेन के दौड़ते ही इलाके मे हर्ष की स्थिति व्याप्त हो गयी।शुक्रवार की दोपहर करीब 11 बजे कोकण रेलवे के अभियन्ताओ की टीम यहां से जैसे ही ट्रेन लेकर जनकपूर के लिये रवाना हुये ।मौके पर मौजुद लोगो ने करतल ध्वनि से स्वागत किया।रास्ते मे भी ट्रेन को देखने के लिये काफी संख्या मे लोग धंटो इन्तजार करते दिखे।इस मार्ग पर बडी़ रेलवे लाइन पर पहली ट्रेन का गुजरना सपना सच होने के बराबर दिखा।
इसके पहले गुरुवार को नेपाल जाने के लिये कोकण से चलकर जैसे ही ट्रेन जयनगर पहुंची स्थानीय लोगो मे प्रसन्नता की लहर दौड़ गयी।काफी संख्या मे ट्रेन देखने लोग उमड़ पडे़।नेपाल सरकार को ट्रेन हैण्ड ओवर करने पहुंचे कोंकण रेलवे के मुख्य अभियन्ता (यांत्रिक)दीपकत्रिपाठी तथा मुख्य अभियन्ता जीबी नागेन्द्र ने बताया कि अत्याधुनिक सुविधाओ से सुसज्जित इस ट्रेन मे 1एसी चेयर,2सेकेन्डक्लास,1पावर व1डीटीसी कोच शामिल है।यह 1जोडी़ ट्रेन है।इसे नेपाल को सौंपने के लिये कोंकण रेलवे के डिप्टी चीफ मेकेनिकल इंजीनियर बीटी राजन्ना एवं शुभम पाण्डेय लेकर जा रहे है।उन्होने बताया कि ट्रेन कब से और कितने बजे से चलेगी यह नेपाल सरकार को तय करना है।ट्रेन के नेपाल के लिये रवाना होने से पूर्व यहां कस्टम सम्बन्धी औपचारिकता पुरी की गयी।मौके पर निर्माण ऐजेन्सी इरकाँन के प्रोजेक्ट मैनेजर रविसहाय,डीजीएम विवेकनिगम,डिप्टी मैनेजर अरूणकुमारप्रभाकर,ओबैस आलम,डीकेत्रिपाठी,स्टेशन अधीक्षक राजेशमोहनमल्लिक,उप स्टेशन अधीक्षक मंगल यादव,आरपीएफ प्रभारी नागेन्द्रसिंह समेत अन्य रेलकर्मी व आमलोग उपस्थित थे।
गौरतलब है कि करीब 800 करोड़ रूपये की लागतवाली जयनगर-जनकपूर-वर्दीवास(नेपाल) आमानपरिवर्तन परियोजना का कार्य वर्ष2011 मे मेगाब्लाँक के साथ शुरू किया गया था।इसे वर्ष 2014 मे पूरा होना तय था।विभिन्न झंझावतो को झेलते हुये इसका निर्माण करीब दो वर्ष पूर्व पूरा हो गया।लेकिन इस मार्ग पर दोनो देशो मे शीर्षस्तर पर व्याप्त गतिरोध के कारण परिचालन शुरू नही हो सका।अब जाकर कोच मिलने से ट्रेन परिचालन शुरु होने की उम्मीद जगी है।
अंग्रेजो के जमाने से इस मार्ग पर ट्रेनो का परिचालन हो रहा है।पहले नैरो गेज पर भाप इंजन से ट्रेन चलती थी।वर्ष2000 के दशक मे भारत सरकार ने उपहार मे नेपाल को नैरोगेज पर डीजल से चलनेवाली 2 इंजन और 10 कोच दिया था।जिसे2010 मे बंद कर दिया गया था।स्थानीय लोगो को तभी से इस मार्ग पर ट्रेन चलने का इंतजार है।