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नव की पूजा की परंपरा सदियों से चली आ रही है: अनिल चौधरी

मदन

डेहरी ऑन सोन रोहतास

सावन की पूर्णिमा के दिन नाव की पूजा की जाती है

मछुआ जल मजदूर संघ के अनिल चौधरी धर्मेंद्र चौधरी रामनाथ चौधरी अवधेश चौधरी के अनुसार नाव की पूजा की परंपरा सदियों से चली आ रही है ।पूर्णिमा के दिन देवी देवताओं की पूजा पाठ के साथ साथ सोन नद मे मछुआरों के द्वारा नाव की भी पूजा की जाती है ।सोमवार को शिवगंज स्थित काशिवा वीर  बाबा स्थित सोन के घाट पर नाव की पूजा की गई । संघ के लोगों ने बताया कि  नाव पूजा में चना गुड़ कचवानीया, लड्डू फूल माला अगरबत्ती तथा धी की आवश्यकता होती है। लोगों ने बताया कि हम लोग नाव लेकर पानी में बाढ़ में मछली का शिकार करने तथा सोन में खेती करने के लिए नाव रखते हैं  नाव  ही हमारी रक्षा करती है ,इसको कठ नागिन भी कहते हैं इसीलिए इस नाव पर  भूत प्रेत भी नहीं  सट पाते हैं । नाव लोगों की रक्षा करती है सोन में खेती करने वाले और जाति के  भी लोग  नाव रखते हैं ।बाढ़ तूफान में भी हम लोग इसका उपयोग करते हैं। राम के वनवास के समय भी केवट नदी पार करते समय उनके चरण को धोकर पिया था। पराशर मुनि भी नदी को उस पार पहुंचाने के लिए निषाद राज के लड़की के द्वारा उनको नदी पार कराया गया था क्योंकि उस समय निषाद राज भोजन कर रहे थे, तभी पराशर मुनि ने उनकी लड़की के साथ संबंध हुए जिससे वेदव्यास की उत्पत्ति हुई। पूजा के दौरान महिलाओं द्वारा गीत की भी परंपरा है। इस मौके पर पार्षद प्रतिनिधि राजेन्द्र चौधरी गोपाल चौधरी गोधन चौधरी नरेश चौधरी गंगा चौधरी रामनारायण चौधरी राहुल चौधरी पवन कुमार बबली चौधरी रोहित कुमार अनुराग रितिक धनंजय कुमार बबलू पासवान सहित काफी संख्या में निषाद समाज के लोग उपस्थित थे।

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