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बहन की डोली गई ससुराल, भाई की अर्थी गई शमशान

बहन की डोली विदाई के बाद भाई ने दुनिया को कहा अलविदा

पहले बहन की डोली निकली और फिर भाई की अर्थी

संवाददाता—मो०शमशाद आलम

करगहर (रोहतास)-शादी के लाल जोड़ा में घर से हंसी -खुशी ससुराल विदा हुई एकलौती बहन सविता को क्या पता था कि जिस भाई ने धुमधाम से उसकी शादी की, वह भाई उसकी डोली निकलने के बाद उसी दिन हमेश-हमेशा के लिए उसे और घर परिवार को छोड़कर इस दुनिया से चला जायेगा।पर होनी को शायद यहीं मंजूर था।करगहर थाना क्षेत्र के धनेज गांव के मुन्नी बैठा के पच्चीस वर्षीय पुत्र इंजीनियर ओमप्रकाश बैठा अपनी प्यारी एकलौती बहन सविता की शादी धुमधाम से करने के लिए महाराष्ट्र के औरंगाबाद से छुट्टी लेकर अपने गांव धनेज आकर अपनी बहनी की शादी की पुरी तैयारी कर ली और 28जून को इंजीनियर साहब के दरवाजे पर उनकी बहन की बारात धुमधाम से उतर प्रदेश से आई पुरे गांव में खुशी का माहौल था और पुरी रस्म के साथ इंजीनियर साहब के बहन सविता की सात फेरा हुआ और शादी की पुरी रस्म किया गया।और अगले सुबह धुमधाम से बहन सविता की डोली खुशी -खुशी ससुराल के लिए विदा हुई।डोली में दुल्हन बनकर जा रही एकलौती बहन को क्या पता कि आज के बाद मेरे इंजीनियर भाई से मुलाकात हो या नही।शायद खुदा को यही मंजूर था कि आज भाई-बहन की आखिरी मुलाकात है।बहन के विदाई के विदाई के बाद इंजीनियरिंग साहब के तबीयत अचानक खराब हो गई और शरीर फुलने लगा तो आनन फानन में परिवार वाले इलाज हेतु वाराणसी ले जा रहे थे कि रास्ते में दुर्गावती के समीप इंजीनियर साहब की मौत हो गई।बताया जाता है कि डाईलेसिस के शिकायत होने पर वह डाईलेसिस का इलाज कर चुके थे।वह इलाज के बाद ठीक हो गये थे।उनकी शादी एक साल पहले तोरी भगवानपुर गांव में हुआ।

परिवार पर टुटा पहाड़

इंजीनियर साहब के परिवार पर पहाड़ सा टुट पड़ा है आज से चार माह पहले उनके पिता मुन्नी बैठा लकवा से ग्रस्ति हो गए तब से पिता के लकवा के दवा चल रहा था एक विपत झेल रहे थे कि दुसरा संकट और टुट पड़ा कि शादी से तीन रोज पहले बडे भाई को गिरने से पैर टुट गया।बाप और बडे भाई को अस्वस्थ होने के कारण शादी की पुरे जिम्मेदारी इनके उपर चली आई.वह अपनी जिम्मेदारी के साथ कर्तव्य को निभाते हुए अपनी छोटी बहन को खुशी -खुशी ससुराल भेंज दिया।
भेजने के बाद इंजीनियर साहब अपने कर्तव्य से छुटकारा पाकर अपने ही इस दुनिया से अलबिदा हो गए।

लकवा से ग्रस्ति पिता
पिता रो रो कह रहे है भगवान को हमको उठना था पर भगवान हमें ना उठाकर हमारे पुत्र को उठा लिए बाप के जिंदा रहते ही बेटा इस दुनिया को छोड़कर चला गया विधाता ने क्या भाग लिखा है ।

मौत ने झिंझोड़ कर रख दिया परिवार को—

ओमप्रकाश के मौत ने पूरे गांव व परिवार को झिंझोड़ कर रख दिया है। मां व पत्नी तो पूरी तरह से टूट गई थी और बार-बार दोनों ओमप्रकाश का नाम लेकर चिला उठती और उसे पुकारती थी। घर में आए रिश्तेदार दोनों को सांत्वना तो दे रहे थे मगर मां-पत्नी का दर्द कोई नहीं समझ रहा था। दोनों रोकर अपना दर्द तो निकाल रही थी,लकवा से ग्रस्ति पिता ओर विलांग भाई को यह दर्द अंदर ही अंदर खाए जा रहा था। जवान बेटे व भाई की मौत के बाद पिता व भाई भी अपने दर्द को संभाल नहीं पा रहे थे और बार-बार घर की आंसू बहा रहा थे।इस मौत से पुरा गांव में मातम सा पसरा है ।गांव मे इस बात की चर्चा हो रही है कि इस गरीब परिवार का अब क्या होगा बाप और भाई पहले से अस्वस्थ है और नही तो मृतक की पत्नी के अब कौन होगा जो बेचारी की अभी पुरी लम्बी उम्र बाकी है ,उसकी पहाड़ जैसा जिंदगी कैसे कटेगी।

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