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ऑनलाइन पढ़ाई से असमानता को जन्म
शिवसागर।कोरोना महामारी में स्कूल पिछले तीन महीने से बंद है।ऐसे में विद्यार्थियो के पठन पाठन पर व्यापक असर पड़ा है।शिक्षा का क्षेत्र लॉक डाउन की जबरदस्त मार झेल रहा है।तत्कालीन परिष्तिथियो में मोबाइल,टीवी ,लैपटॉप,टेबलेट जैसे तकनीकी साधनों के साथ बच्चे पढ़ाई कर रहे हैं।इसे विकल्प के तौर पर लिया जा सकता है।लेकिन नकारात्मक पहलू ख़तरनाक है।देश ,राज्या और जिले के बहुत बच्चे इससे लाभान्वित जरूर हो रहे हैं।गरीब परिवार के आबि लाखो बच्चे इससे वंचित हैं।जहाँ तक सेहत की बात की जय तो बच्चों के लिए यह अहम है।बच्चे ऑनलाइन पढ़ाई को समझ कितना रहे ह इस पर भी ध्यान देना होगा।बच्चों को अधिक समय तक मोबाइल स्क्रीन पर बने रहना पड़ता है।इससे इनकी आंखों पर असर पड़ता है।इसके लिए शिक्षा विभाग को कोई प्रभावी कदम उठाना होगा ताकि गरीब बच्चों की पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके।प्रभाव इतना गहरा ह की उच्च शिक्षा ,माध्यमिक शिक्षा, बेसिक शिक्षा,व्यावसायिक शिक्षा ,चिकित्सा शिक्षा,बाल बिकास के तहत सभी प्रितियोगिता परीक्षा स्थगित है।एक प्रसिद्व डॉ पीके सिन्हा का कहना है कि लगातार बच्चे मोबाइल स्क्रीन पर पढ़ाई कर रहे हैं।अकल्पनीय स्वास्थ्य आपदा ने शिक्षा प्रणाली के ढांचे चरमरा कर रख दिया है।देश मे एक नई तरह की असमानता को जन्म दिया है। अभी के स्थिति में बच्चों के मेंटल पर बीमारी हावी हो सकता है।शारीरिक विकास पर असर पड़ सकता है।आने वाले समय मे मोबाइल स्क्रीन से निकलने वाले रे से कैंसर की संभावना बढ़ जाती है।ऑनलाइन के बहाने बच्चे गेम, कार्टून भी देखने मे व्यस्त हैं।आउटडोर गेम न खेलने से अस्वस्थ हो सकते हैं।एक तरफ बच्चो को मोबाइल पर गेम खेलने से मना किया जाता है।वही आज अभिभावक पर आर्थिक असर भी पड़ा है।शिक्षा विभाग इस पर विचार करे।
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