प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार
बिहार में जमीन रजिस्ट्री में कई नए बदलाव हुए हैं. ऐसे मामलों में जमीन या फ्लैट की रजिस्ट्री कराते समय गलत साक्ष्य वाले बयान, दस्तावेज, पहचान संबंधी दस्तावेज, जमीन पर बने ढांचे को छिपाना महंगा पड़ेगा। यदि कोई अनियमितता पाई गई तो ऐसा करने वालों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।
झूठे दस्तावेज़ प्रस्तुत करना या साक्ष्य छुपाना पंजीकरण अधिनियम 1908 की धारा 82 और भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 27 का उल्लंघन होगा। इसके अलावा गलत दस्तावेज पेश करने पर भी दस्तावेजों की जांच नहीं करने वाले निबंधन पदाधिकारी व कर्मी भी दोषी होंगे।पटना के डीएम शीर्षत कपिल अशोक ने सभी एसडीओ, भूमि सुधार उपसमाहर्ता और लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को निबंधन अधिनियम 1908 की धारा 82 और भारतीय स्टांप अधिनियम की धारा 27 के उल्लंघन के मामले में कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। डीएम ने कहा कि यदि अधिनियम के उल्लंघन का मामला मिलता है या शिकायती पत्र मिलता है तो उसकी जांच करायी जाये और दोषी अधिकारी या कर्मचारी को चिह्नित कर रिपोर्ट दी जाये। दोषी अधिकारी या कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जायेगी।दस्तावेजों के पंजीकरण के दौरान झूठे सबूत वाले बयानों, दस्तावेजों और गलत पहचान दस्तावेजों का उपयोग करके, भूमि पर स्थित संरचनाओं को छुपाकर और भूमि की गलत प्रकृति की घोषणा करके दस्तावेजों के पंजीकरण की प्रवृत्ति का मुकाबला करने के लिए कार्रवाई शुरू की है।जानकारों के मुताबिक निबंधन विभाग की ओर से यह पत्र पिछले साल 1 मार्च 2023 को जारी किया गया था। इसके बाद दस्तावेजों के पंजीकरण के लिए जमा किए गए दस्तावेजों की जांच की गई। जमीन की रजिस्ट्री में जगह का सत्यापन किया गया। हाल के दिनों में जांच की कार्रवाई नहीं की गयी है।