संझौली से सोनु कुमार की रिपोर्ट
बिक्रमगंज(रोहतास). प्रखंड क्षेत्र में योगेया गांव में भागवत परिवार एवं जनसहयोग से चल रहे संगीतमय श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन श्रीकृष्ण रुक्मिणी विवाह धूमधाम एवं हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कथावाचक महंत श्रीधर प्रपन्नाचार्य जी महाराज (सोनु बाबा जी)ने रास पंच अध्याय का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि महारास में पांच अध्याय हैं । उनमें गाए जाने वाले पंच गीत भागवत के पंच प्राण हैं । जो भी ठाकुरजी के इन पांच गीतों को भाव से गाता है वह भव पार हो जाता है। उन्हें भगवान की भक्ति सहज प्राप्त हो जाती है। कथा में भगवान का मथुरा प्रस्थान, कंस का वध, महर्षि संदीपनी के आश्रम में विद्या ग्रहण करना, कालयवन का वध, उधव गोपी संवाद, ऊधव द्वारा गोपियों को अपना गुरु बनाना, द्वारका की स्थापना एवं रुक्मिणी विवाह आदि प्रसंगों का संगीतमय वर्णन किया। भारी संख्या में भक्तगण दर्शन हेतु शामिल हुए। कथा के दौरान कथा वाचक सोनु बाबा जी महाराज ने कहा कि महारास में भगवान श्रीकृष्ण ने बांसुरी बजाकर गोपियों का आह्वान किया और महारास लीला द्वारा ही जीवात्मा परमात्मा का ही मिलन होता है । उन्होंने कहा कि भगवान कृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया। भगवान श्रीकृष्ण रुक्मिणी के विवाह की झांकी ने सभी को खूब आनंदित किया। भागवत कथा के छठे दिन कथा स्थल पर रुक्मिणी विवाह के आयोजन ने श्रद्धालुओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। श्रीकृष्ण रुक्मिणी की वरमाला पर जमकर फूलों की बरसात हुई। कथावाचक महंत सोनु बाबा जी ने भागवत कथा के महत्व को बताते हुए कहा कि जो भक्त प्रेमी कृष्ण रुक्मिणी के विवाह उत्सव में शामिल होते हैं उनकी वैवाहिक समस्या हमेशा के लिए समाप्त हो जाती है कथा श्रवण के दौरान स्थानीय महिलाओं पर पांडवों के भाव अवतरित हुए कथा वाचक ने कहा कि जीव परमात्मा का अंश है। इसलिए जीव के अंदर अपारशक्ति रहती है यदि कोई कमी रहती है वह मात्र संकल्प की होती है संकल्प एवं कपट रहित होने से प्रभु उसे निश्चित रूप से पूरा करेंगे। उन्होंने महारास लीला उद्धव चरित्र कृष्ण मथुरा गमन और रुक्मिणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर विस्तृत विवरण दिया। रुक्मणी विवाह महोत्सव प्रसंग पर व्याख्यान करते हुए उन्होंने कहा कि रुक्मिणी के भाई रुक्मि ने उनका विवाह शिशुपाल के साथ सुनिश्चित किया था। लेकिन रुक्मिणी ने संकल्प लिया था कि वह शिशुपाल को नहीं केवल गोपाल को पति के रूप में वरण करेंगी । उन्होंने कहा शिशुपाल असत्य मार्गी है और द्वारिकाधीश भगवान कृष्ण सत्य मार्गी हैं इसलिए वो असत्य को नहीं सत्य को अपनाएंगी अंत में भगवान द्वारकाधीश जी ने रुक्मिणी के सत्य संकल्प को पूर्ण किया और उन्हें पत्नि के रूप में वरण करके प्रधान पटरानी का स्थान दिया। रुक्मिणी विवाह प्रसंग पर आगे कथावाचक ने कहा इस प्रसंग को श्रद्धा के साथ श्रवण करने से कन्याओं को अच्छे घर और वर की प्राप्ति होती है और दांपत्य जीवन सुखद रहता है। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में मुख्य रूप से दयाशंकर कुमार,विशाल कुमार,सोनु कुमार धनु कुमार, सम्मी पाण्डेय, बिशु बहार सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे।