ETV News 24
बिहाररोहताससासाराम

जल, जंगल व जीवों की रक्षा कर प्रकृति को बचाना हम सबकी सामूहिक जवाबदेही

सासाराम संवाददाता अभिषेक सिंह

सासाराम रोहतास कैमूर पहाड़ी क्षेत्र को प्रकृति ने मन से सजाया है। इतना देश में कम ही जगह है जहां एक क्षेत्र में इतना अधिक रमणिक स्थल हो। बस इसे बचाकर रखने के लिए जरूरत है। जल, जंगल व जीवों की रक्षा करना हर किसी की जवाबदेही होनी चाहिए। जब जंगल में जंगली जानवर नहीं रहेंगे, पेड़ नहीं रहेंगे, पहाड़ व झरने नहीं रहेंगे तो फिर प्रकृति की गोद में रहने, बैठने का आनंद कहां मिलेगा। प्रकृति को बचाने के लिए केवल वनकर्मी व अधिकारियों की जवाबदेही ही नहीं है, बल्कि आम लोगों के सहयोग के बिना प्रकृति को संरक्षित नहीं किया जा सकता। जंगल को बचाने के लिए इको टूरिज्म को विकसित करना होगा। आइआइटी बीएचयू से एमटेक की उपाधि लिए भारतीय वन सेवा के युवा अधिकारी व इको टूरिज्म में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किए रोहतास के डीएफओ प्रद्युम्न गौरव से बातचीत की ब्यूरो प्रमुख ब्रजेश पाठक ने

रोहतास वन प्रमंडल की जवाबदेही आपपर है। इसे कैसे खास बनाएंगे

रोहतास आदिमानवों की स्थली रही है। आदिवासी राजाओं ने यहां राज किया है। आदिवासियों के प्रसार अन्य क्षेत्रों में भी होने की बात कही जाती है। पहाड़ी गांवों के विकास के साथ जल, जंगल व जंगली जीवों को भी बचाना होगा। यह जवाबदेही सबपर है। जब हम इसे संरक्षित करेंगे तभी वनवासियों के जीवन में खुशहाली भी आएगी
इको टूरिज्म को विकसित करने के लिए विभाग की क्या योजना है
– इको टूरिज्म को विकसित करने के लिए कई जगहों पर कार्य किया जा रहा है। तुतला भवानी में इको पार्क, झूलाआदि बनाया जा रहा है। वहीं दुर्गावती जलाशय को भी इको टूरिज्म के रूप में विकसित किया जा रहा है। रोहतासगढ़ किला पर रोपवे का निर्माण भी शुरू हो रहा है। इको टूरिज्म विकसित करके जंगली जीवों व जंगलों से हम सभी नजदीक से परिचित होंगे। मांझर कुंड, धुआं कुंड, महादेव खोह, शेरगढ़ किला समेत अन्य जगहों को इको टूरिज्म के लिए विकसित किया जाएगा
इको टूरिज्म से वनवासी कैसे लाभान्वित होंगे, उनके लिए भी कोई योजना बनाई गई है क्या ।

– इको टूरिज्म से वनवासियों की स्थिति बदलेगी। सरकार द्वारा इको विकास समिति का गठन कर इसके माध्यम से ही इसे विकसित करने की योजना बनाई गई है। इको विकास समिति में स्थानीय ग्रामीणों की सहभागिता रहती है। इसके माध्यम से उस क्षेत्र का विकास भी होता है। देश के अधिकांश प्राकृतिक स्थलों का विकास इको विकास समिति के माध्यम से ही हो रहा है। समिति को कई अधिकार भी प्राप्त होते हैं। गंदगी न फैले इसपर विशेष ध्यान समिति सदस्य देते हैं। अन्य जगहों पर इको टूरिज्म से होने वाले आय का 90 फीसद समिति खर्च करती है तथा 10 फीसद सरकार को राजस्व मिलता है। पर्यटन स्थलों को विकसित करने व पर्यटक सुविधाएं बढ़ाने के लिए समेकित कार्ययोजना तैयार की जा रही है। रोहतासगढ़ किला, शेरगढ़किला, शेरशाह रौजा, मांझरकुंड, धुआंकुंड, तुतला भवानी, गुप्ताधाम तक श्रद्धालु व पर्यटक पहुंचे इसपर उनका फोकस रहेगा
कैमूर पहाड़ी के जंगलों में वन्य प्राणियों की क्या स्थिति है, इसके लिए कोई योजना तैयार की गई है या नहीं
कैमूर पहाड़ी पर बसे कैमूर वन्य आश्रयणी क्षेत्र में वन विभाग ने 22 ऑटोमैटिक कैमरे से बाघ की तस्वीर प्राप्त की है। बाघ की मौजूदगी को लेकर ऑटोमैटिक कैमरा लगा विभाग बाघ के विचरण की तस्वीर जुटाने में सफलता प्राप्त कर लिया है। अब टाइगर रिजर्व क्षेत्र घोषित करने की कवायद की जा रही है। यही नहीं मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व क्षेत्र से कैमूर वन्य जीव आश्रयणी तक टाइगर कॉरिडोर बनाने की पहल भी हो रही है ताकि यहां के जंगलों में और बाघ आकर निवास करें। इस क्षेत्र में बाघों का आना-जाना पहले से ही लगा है। हाल ही में कई क्षेत्रों में बाघों के पद चिह्न मिले थे। इस वन्य क्षेत्र के रोहतास, तिलौथू, औरैया व भुड़कुड़ा पहाड़ी पर भी बाघ के पद चिह्न देखे गए हैं। सभी जगहों पर एक ही तरह के पंजे के निशान हैं
कैमूर पहाड़ी के गांवों में आने जाने के लिए सड़क नहीं है, ठहरने के लिए कोई जगह नहीं फिर कैसे पर्यटकों को आकर्षित करेंगे
सड़क बनाने की प्रक्रिया वन क्षेत्र में अन्य सड़कों से अलग है। वन कानून के अनुरूप ही इसका विकास होगा। अबतक जो पहल हुई है उसमें कई नियमों का पालन नहीं हुआ है, जिसके कारण आवागमन की स्थिति बहुत अच्छी नहीं रही है। गत एक वर्षों में नियमों का पालन कर कई सड़कों का निर्माण करा आवागमन सुगम किया गया है। इको टूरिज्म में खास यह कि आप जंगल के गांवों में जाएं तो वहीं के अनुरूप ठहरें। दक्षिण अफ्रिका समेत अन्य जगहों में भी घरों को विकसित कर उसमें ठहरने की व्यवस्था की गई है। इससे स्थानीय लोगों को भी रोजगार मिला है। अगर रोहतास के पहाड़ी गांवों में इसे अपनाया जाय तो यहां प्रकृति को अप्रतीम खजाना देखने हजारों पर्यटक आएंगे व वनवासियों की स्थिति काफी सु²ढ़ होगी
कैमूर पहाड़ी पर नक्सलियों का वर्चस्व रहा है। यहीं पर 19 वर्ष पूर्व डीएफओ के पद पर रहते हुए संजय सिंह की हत्या नक्सलियों ने की थी। वन क्षेत्र में नक्सलियों की वापसी न हो इसके लिए कोई योजना बनाई गई है क्या
– डीएफओ रहे संजय सिंह हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत रहे हैं। उनके जज्बे से काफी सीख मिलती है। उन्होंने कैमूर पहाड़ी के वनवासियों की आर्थिक स्थिति सु²ढ़ करने की जो योजना बनाई थी उसपर भी काम किया जा रहा है। चंदन शहीद पहाड़ी के नीचे तीन एकड़ में उनकी स्मृति में पार्क का निर्माण किया जा रहा है। प्रावधान के अनुरूप वनवासियों को रोजगार व मूलभूत आवश्यकताओं के साथ आधारभूत संरचाओं का निर्माण कराया जा रहा है। यहां के वनवासी इतने साहसी व कानून प्रिय हैं कि अब यहां नक्सल पनपने की बात ही नहीं है

Related posts

विधापतिधाम में ट्रैन से कटकर युवक ने की आत्महत्या

ETV News 24

दैदहां में नहीं मिला नल से जल, जलस्तर खिसकने से बढ़ी परेशानी

ETV News 24

बिहार सरकार के मंत्रियों और विधायकों ने किया राजा साहब के तैल चित्र पर माल्यार्पण

ETV News 24

Leave a Comment