प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार *जीविका कार्यकर्ता को न्युनतम पन्द्रह हजार रूपए मासिक मानदेय करो- ऐपवा!* ताजपुर कोरोना संकट को देखते हुए स्वयं सहायता समूह का कर्ज माफ कर समूह से जुड़ी महिलाओं को सरकार त्रृणमुक्त करे. ऐपवा द्वारा घोषित देशव्यापी त्रृणमुक्त दिवस पर गुरूवार को प्रखंड में मोतीपुर स्थित अपने आवास पर एक दिवसीय धरना सह उपवास कार्यक्रम के दौरान ऐपवा जिलाध्यक्ष बंदना सिंह ने कहा. उन्होने कहा कि करोना के कारण लाॅक डाउन अभी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है. इस दौर में गरीबों का रोजगार छिन गया है. खास तौर पर गरीब महिलाओं के पास आमदनी का कोई जरिया नहीं है. गरीब महिलाएं अपने कर्ज कैसे वापस करेंगे. ऐसे समय में सरकार ने जिस राहत की घोषणा कीे उसमें बङे बङे पूंजीपतियों के कर्ज कई तरीके से माफ किये जा रहे हैं. उनका उधार एन पी ए के नाम पर बैंको को सरकार भुगतान कर रही है. पहले भी कई बार पूंजीपतियों का अरबों रूपये का कर्ज माफ होता रहा है लेकिन गरीब महिलाओं का कर्ज अभी तक माफ नहीं किया गया है. हम इस संकट के समय सरकार से मांग करते हैं कि गरीबों का कर्ज कर्ज माफ किया जाये. ऐपवा नेत्री ने कहा कि बिहार में कई प्राईवेट बैंक और माइक्रो फाइनेंस कम्पनीयों महिला समूह बनाकर कर्ज देने और भारी ब्याज समेत किश्त बांधकर वसूलने में लगी है. महिलाओं को पता भी नही होता की कितना ब्याज लिया जा रहा है. कर्ज चुकाने के लिए महिलाएं को दूसरा कर्ज लेना पङता है. सरकार द्वारा स्वयं सहायता समूहों का गठन महिलाओं को स्वावलंबी बनाने अर्थात रोजगार उपलब्ध कराने के लिए सरकार की थी लेकिन यह काम नहीं हो रहा है. समूह में शामिल महिलाओं को विशेष ट्रेनिंग देकर समूह के अधार पर या कलस्टर बनाकर रोजगार उपलब्ध कराने और बनाये गये समान को खरीदने की व्यवस्था सरकार को करना चाहिए. जीविका कार्यकर्ता को न्युनतम पन्द्रह हजार रूपए मासिक मानदेय देने की गारंटी सरकार करे।