रिपोर्ट:- धर्मेन्द्र कुमार सिंह
बिक्रमगंज/रोहतास। महागठबंधन के घटक दल भाकपा माले के काराकाट विधायक डा अरुण सिंह ने बिक्रमगंज में चल रहे अतिक्रमण हटाओ अभियान पर चिंता जाहिर करते हुए इसे जंगल राज्य की संज्ञा दिया है और जनप्रतिनिधियों को चेतावनी भरे लहजो में कहा की आप बिहार सरकार के प्रतिनिधि बनने के बजाए जनता का ही प्रतिनिधि बने रहे तो बेहतर है।उन्होंने कहा कि प्रशासन के पास कोई प्लानिंग नही है कि आखिर बिक्रमगंज के फुटपाथी दुकानदारों को उजाड़ कर बनाना क्या चाहता है।कहा कि रोहतास के जिलाधिकारी से बातचीत कर महागठबंधन के घटक दलों के सहयोग से आंदोलन की रूपरेखा शीघ्र ही तय की जायेगी।हालांकि विस्थापित फुटपाथी दुकानदारों के समक्ष उनके आशियाना उजाड़ने से भुखमरी के कगार पर पहुंच गए है और रोजी रोटी की समस्या उत्पन्न होते जा रही है।वही विगत वर्ष एव माह में करोड़ो रुपए की लागत से बना नल जल तथा नाला निर्माण को प्रशासन द्वारा बुलडोजर से ध्वस्त कर दिए जाने से नगरवासियों आक्रोश व्याप्त होने के साथ उनके समक्ष पीने की पानी को ले समस्या विकराल हो गई है ।जबकि नाला के नही रहने से घर का पानी घर में ही या सड़क पर बह रहा है।नगर के पूर्व सभापति रवनवाज राजू एव गुप्तेश्वर प्रसाद गुप्ता ने संयुक्त रूप से ब्यान जारी कर कहा की मेरे कार्यकाल में नगरवासियों के सुविधाजनक व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए पिछले वित्तीय वर्ष में करोड़ो रुपए की लागत से निर्माण कराए गए नल जल के पाइप और नाला निर्माण को ध्वस्त कर दिया गया।इसके लिए जिम्मेवार कौन होगा तथा यह करोड़ो रूपए का हर्जाना कौन भरेगा।शहर चौड़ीकरण और सौंदर्यीकरण के हिमायती सभी शहरवासी है।लेकिन सरकारी संपत्ति की नुकसान कर या रोज कमाने खाने वाले सैकड़ों फुटपाथी दुकानदारों को कष्ट देकर या उन्हे विस्थापित कर नही ।दोनो सभापतियो ने स्थानीय प्रशासन पर आरोप लगाया कि जब शहर में विगत माह करोड़ो रुपए की लागत से नाला निर्माण का कार्य चल रहा था।तब यह प्लान कहा थी।उस समय ही क्यों नही रोका गया।क्यों नाला ध्वस्त कर सरकारी राशि का क्षति पहुंचाई गई।उधर पूर्व सभापति रबनवाज राजू ने अप्रत्यक्ष रूप से आरोप लगाया की स्थानीय प्रशासन भू माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए गरीब,कमजोर तबके के लोगो को बगैर कही बसाए उनको भयभीत कर दुकानें को उजाड़ रही है।काराकाट विधायक और पूर्व नगर सभापति का ब्यान सोशल मीडिया में खूब वायरल होकर सुर्खियां बटोर रही है।बताते चले की एनएचएआई नेशनल हाइवेज अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया अर्थात भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के निर्देश पर प्रशासन ने बिक्रमगंज में अतिक्रमण हटाओ अभियान को मूर्त रूप दे रहा है।लेकिन लोगो का मानना है की आम नागरिकों से सुविधा शुल्क के तौर पर सरकार टैक्स की वसूली कर नागरिकों को आवश्यक सुविधा मुहैया कराने के लिए नगर विकास विभाग को करोड़ो अरबों रुपए मुहैया कराती है ताकि नगरवासियों को आवश्यक सुविधा मुहैया कराया जा सके।लेकिन करीब पांच छह वर्षो के अंतराल पर करोड़ो खर्च कर शहर में घर घर नल से जल गिराने के लिए पाइप लाइन बिछाए गए। वही शहर में दो बार निर्माण कराए गए नाला को शहर के कुछ हिस्सों में ध्वस्त कर दिया गया।अब इसका भरपाई कौन करेगा।आक्रोशित लोगों का यह भी कहना है कि पाइप लाइन उखाड़ने एव नाला ध्वस्त करने के पूर्व नगरवासियों को पीने का पानी के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था सुनिश्चित नही किया गया।जिससे नल जल पर निर्भर कई लोगो के घर पीने का पानी को लेकर हाहाकार मचा हुआ है।जबकि फुटपाथी दुकानदारों को विस्थापित करने से पूर्व उन्हे कही स्थापित नही की गई।आज फुटपाथी दुकानदारों के समक्ष रोजीरोटी और जीवनयापन को लेकर स्थिति गंभीर बनती जा रही है।इसके लिए कौन जिम्मेवार है जनप्रतिनिधि या प्रशासन। अतिक्रमण की चपेट में आ रहे कई सरकारी कार्यालय,गेट आदि को अब तक क्यों नही ध्वस्त की गई। जबकि मार्टिन लाइट रेलवे की भू भाग पर कई झोपड़ीनुमा गुमटी के अलावा कई दबंग भू माफियाओं का कब्जा अब भी बरकरार है।फिर उन्हे क्यों नही अतिक्रमण से मुक्त कराया गया।क्या यह अभियान केवल गरीब,आर्थिक रूप से कमजोर आदि वर्ग के लोगो के लिए थी। एक दशक के भीतर विभिन्न वित्तीय वर्ष में शहर के अंदर सरकारी खजाने में जमा कराया गया जनता के गाढ़ी कमाई से बना नाला,नल जल आदि को सड़क चौड़ीकरण व सौंदर्यीकरण के नाम पर निर्माण कराए गए करोड़ो रुपए की लागत से ध्वस्त नाला का भरपाई कौन करेगा।