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बिहार में रुक नहीं रही शराब तस्करी, समस्तीपुर जंक्शन पर 48 बोतल बीयर के साथ महिला धंधेबाज गिरफ्तार

प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार

बिहार में शराबबंदी (Liquor ban in Bihar) का कोई असर नहीं दिख रहा है। आलम यह है कि अब दूसरे राज्य से ट्रेन से शराब तस्करी का काम बड़े पैमाने पर महिलाएं भी करने लगी है। ताजा मामला समस्तीपुर जिले का है जहां राजकीय रेल पुलिस (GRP) ने विशेष चेकिंग अभियान के दौरान मंगलवार को समस्तीपुर जंक्शन के प्लेटफार्म संख्या छह-सात से तस्करी के शराब के साथ एक महिला को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने महिला के पास से एक बोड़े में बीयर की 48 बोतलें बरामद की है। महिला की पहचान कर्पूरीग्राम थाना क्षेत्र के शंभूपट्टी गांव निवासी अखिलेश सहनी की पत्नी पूजा देवी के रूप में हुई है।

विशेष चेकिंग में रेल पुलिस को मिली सफलता :

जानकारी के अनुसार मंगलवार की सुबह रेल थाना की एएलटीएफ टीम जंक्शन पर विशेष शराब चेकिंग अभियान चलाया। इस दौरान हावड़ा से रक्सौल जाने वाली 13021 मिथिला एक्सप्रेस (Mithila Express) प्लेटफार्म संख्या छह पर पहुंची। रेल पुलिस ने ट्रेन की बोगी में प्रवेश कर तलाशी शुरू कर दी।

इसके बाद प्लेटफॉर्म और पुल पर संदिग्ध लोगों के सामान की तलाशी ली। इसी क्रम में फुटओवर ब्रिज पर एक महिला पुलिस को देखते ही तेजी से भागने का प्रयास करने लगी। महिला पर पुलिस को शक हुई। टीम ने उसके पास से बोरा जब्त कर जांच किया। इसमें बीयर की बोतल मिली।

पुलिस ने महिला को भेजा जेल :

उसके बाद महिला को तत्काल हिरासत में लेकर बरामद बोरा लेकर पुलिस रेल थाना पहुंची जहां पर जांच के क्रम में 48 बोतल बीयर मिली। कुल 24 लीटर अंग्रेजी शराब बरामद किया गया। जीआरपी थानाध्यक्ष प्रवीण कुमार ने बताया कि कांड संख्या 205/23 के तहत मामले में प्राथमिकी दर्ज करते हुए आरोपी महिला को जेल भेज दिया।

पिछले महीने भी दो महिलाएं हुई थी गिरफ्तार :

इससे पूर्व भी शराब तस्करी (Wine Smuggling) के मामले में दो महिला गिरफ्तार की गई थी। इसमें एक को 18 जून और दूसरे 31 जुलाई को रेल पुलिस ने ट्रेन में तलाशी के दौरान गिरफ्तार किया था। वहीं सोमवार 4 सितंबर को पूसा रोड स्टेशन पर भी शराब बरामद की गई है।

इन घटनाओं से साफ़ होता है कि रेल मार्ग से लगातार शराब की तस्करी की जा रही है। रेलवे आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, अब इस धंधे में महिलाएं भी जुड़ गयी है जो पैसे की लालच में इस अवैध कारोबार को कर रही है। पुलिस के अनुसार गिरफ्तार की जाने वाली ज्यादातर महिलाएं गरीब परिवार की हैं।

बिहार के कोने-कोने और गांव-गांव में बिक रही है शराब:

बता दें कि बिहार में 1 अप्रैल, 2016 से नीतीश कुमार की सरकार ने पूर्ण शराबबंदी (Liquor ban in Bihar) लागू कर रखी है। आज से 80 महीने पहले जब शराब बंद हुई तब बिहार में महागठबंधन सरकार थी। बीच में नीतीश ने कुछ साल बीजेपी के साथ सरकार चलाई लेकिन शराबबंदी जारी रही। अब फिर से नीतीश और तेजस्वी यादव की सरकार चल रही है। लेकिन बिहार में शराबबंदी का सच यह है कि बिहार के कोने-कोने और गांव-गांव में शराब बिक रही है।

बिहार में शराबबंदी का परिणाम :

नतीजा ये है कि 6 साल से लागू शराबबंदी में बिहार में जहरीली देसी शराब पीने से 60 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। लाखों लोग जेल जा चुके हैं, कोर्ट पर लाखों केस का बोझ बढ़ गया है। पुलिस से लेकर उत्पाद विभाग तक के भ्रष्टाचार की गंगा में शराब का अवैध धंधा पूरे राज्य में अविरल चल रहा है। लोग मरते हैं, कुछ दिन हंगामा होता है। फिर सब भूल जाते हैं। फिर लोग मरते हैं, फिर हंगामा होता है और फिर लोग सब भूल जाते हैं। नीतीश कुमार मानने को तैयार ही नहीं है कि शराबबंदी फेल है और भ्रष्ट कर्मचारी, अधिकारी और पुलिस के रहते इसके पास होने की रत्ती भर गुंजाइश नहीं है।

शराबबंदी विफल – उठ रहे सवाल :

विपक्षी बीजेपी ही नहीं, सरकार को समर्थन दे रही लेफ्ट पार्टियां और आम लोग भी सवाल उठा रहे हैं कि जब नीतीश कुमार शराब की अवैध सप्लाई बंद नहीं कर पा रहे हैं तो किस बात की शराबबंदी। विपक्ष के नेताओं का तो यहां तक कहना है कि इससे अच्छा शराबबंदी (Liquor ban in Bihar) हटा दे सरकार जिससे गरीब लोग सही देसी शराब पी सकें और मरने से बच सकें। अभी लोकल स्तर पर चोरी-छिपे कोई भी देसी शराब बनाने का धंधा चला ले रहा है जिसमें बनी शराब कई बार जहरीली बन जाती है। इस तरह की देसी शराब बनाने का धंधा राज्य के हर इलाके में चल रहा है। इसलिए कभी जहरीली शराब से बेतिया में मौत होती है तो कभी भागलपुर में। राज्य का कोई कोना और कोई हिस्सा इस धंधे से अछूता नहीं है।

आइए एक नजर डालते हैं बिहार को नीतीश कुमार की शराबबंदी (Liquor ban in Bihar) से क्या मिला और क्या नुकसान हुआ। नीतीश कुमार को महिलाओं का वोट और महिलाओं के मन में सम्मान मिला जिनके घर शराब की वजह से रोज कलह और मारपीट की घटना होती थीं।

शराबबंदी से बिहार को फायदा :

1. बिहार में महिलाओं के खिलाफ पति या ससुराल के लोगों के हाथों घरेलू हिंसा के मामलों में 37 परसेंट की कमी आई है। राष्ट्रीय स्तर पर इस तरह के मामले 12 परसेंट बढ़े हैं।
2. बिहार में महिलाओं के साथ अपराध की दर में 45 परसेंट की कमी आई है। राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के साथ अपराध की दर में 3 परसेंट की बढ़त दर्ज की गई है।
3. शराब पीने के नुकसान को लेकर जागरूकता बढ़ी है।
4. सार्वजनिक जगहों पर शराब पीकर उत्पात और हुड़दंग के मामले नगण्य हुए हैं।

शराबबंदी से बिहार को नुकसान :

1. सबसे बड़ा नुकसान राजस्व का हुआ। राज्य को 2015 में लगभग 4000 करोड़ की कमाई हुई थी। अनुमान है कि तब से अब तक 35-40 हजार करोड़ के राजस्व का मौका हाथ से निकला है।
2. मद्य निषेध विभाग पर खर्च बढ़ा- शराबबंदी लागू करने के लिए मद्य निषेध विभाग पर करोड़ों रुपए हर साल खर्च हो रहे हैं। छह साल में मद्य निषेध सिपाही के पदों पर हजारों लोगों की भर्ती हुई है।
3. बिहार में शराब से जुड़ा एक अंडरवर्ल्ड तैयार हो गया है। कानून व्यवस्था के लिए ये भविष्य में हमेशा खतरा बना रहेगा। शराबबंदी हटने की स्थिति में ये सब दूसरे अपराध में शिफ्ट करेंगे।
4. शराबबंदी के बावजूद बिहार में शराब के अवैध धंधे से हर साल अनुमानित तौर पर 10 हजार करोड़ का काला धन पैदा हो रहा है जो राजनेता, माफिया, पुलिस और उत्पाद विभाग के लोगों के बीच बंट रहा है।
5. सड़क दुर्घटना में मौत के मामले बढ़े- सड़क दुर्घटना में मौत को शराब से भी जोड़कर देखा जाता है। घोषित तौर पर शराबबंदी के बावजूद बिहार में 2016 में सड़क दुर्घटना में 10571 लोगों की मौत हुई थी। 2017 में 11797, 2018 में 12717, 2019 में 15211, 2020 में 14474 और 2021 में 8974 लोग रोड एक्सीडेंट में मारे गए। 2021 को छोड़ दें तो मौत की संख्या 2016 से बढ़ती ही रही।
6. संज्ञेय अपराध और बड़े क्राइम बढ़े- 2016 में बिहार में 189681 संज्ञेय मामले दर्ज हुए थे जो 2017 में 236037 और 2018 में 262802 हो गया। इसी तरह मेजर क्राइम 2016 में 52316 से 2017 में 58846 और 2018 में 64118 हो गया।

शराबबंदी पर कोर्ट में किरकिरी :

1. सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के शराबबंदी (Liquor ban in Bihar) कानून को उन कानूनों के उदाहरण के तौर पर पेश किया जिसे बनाने में दूरदृष्टि की कमी दिखती है।
2. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार के शराबबंदी कानून ने कोर्ट का दम घोंट रखा है। पटना हाईकोर्ट के 14-15 जज शराब मामलों में बेल के केस सुन रहे हैं जिससे बाकी मामलों की सुनवाई पर असर पड़ रहा है।
3. पटना हाईकोर्ट ने कहा कि बिहार में शराबबंदी लागू करने में सरकार फेल है और इसकी वजह से लोगों को गांजा-चरस और दूसरे ड्रग्स की लत लग रही है।

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