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बच्चों को मोबाइल से दूर करें, बच्चे को समेशा सकारात्मक एवं रचनात्मक कार्यों मे रूचि बढ़ाए

प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार

आजकल सभी अभिभावक इस बात के लिए चिंता में रहते हैं कि हमारा बच्चा बहुत टी.वी. देखता है, मोबाइल छोड़ने का नाम ही नहीं लेता, मोबाइल पर गेम में उसकी ज्यादा रुचि रहती है और वह हमेशा उनकी इन आदतों को छुड़ाने का हल ढूंढते रहते हैं।
हम सब जानते हैं खाली दिमाग शैतान का घर होता हैं। इसलिये हमेशा अपने बच्चों को कुछ नई चीजों में संलग्न करें। जैसे कि कुछ रचनात्मक सामान बनाने के लिए उन्हें घर पर पड़ा बेकार सामान जैसे अखबार इत्यादि का उपयोग कर सकते हैं। इसके अलावा आप अपने बच्चों को खाना बनाने या बागबानी के साथ भी जोड़कर इन गैजेट्स से दूर कर सकते हैं। कहानी सुनाने, पढ़ने या पेंटिंग करने में भी आप अपने बच्चों के साथ जुड़ सकती है।
इसका एक तरीका मैं आपको बताना चाहता हूँ जिसे मैंने अपने बच्चों के साथ अपनाया और इसका परिणाम भी बहुत अच्छा रहा। मैंने रात को सोने से पहले अपने बच्चों को कहानी सुनाना शुरू कर किया। शुरू में बच्चों को बहुत अजीब लगा कि पापा सोने से पहले कहानी सुनाएंगे। यह हमारे साथ क्या नया हो रहा है? मैंने रोज रात को कहानी सुनाना शुरू किया धीरे-धीरे उन्हें इसमें रुचि आने लगी। इसी के साथ उन्हें रात को नींद भी बहुत अच्छी आने लगी और मुझे भी। अब यह उनकी आदत बन गई और वे खुद आने लगे कि पापा कहानी सुनाओ। इसका एक ओर फायदा हुआ कि पूरा परिवार उस समय एक साथ बैठता था, साथ में समय बिताता था। हम कहानी पूरी होने के बाद उस पर चर्चा करते थे। कुछ दिन बाद मेरे पास कहानियाँ समाप्त हो गईं। मेरे लिए यह एक बहुत बड़ा चैलेंज हो गया था कि बच्चों को कैसे अब व्यस्त करूं। मैंने उन्हें कहानी सुनाने के लिए खुद पुस्तकें पढ़ना शुरू किया। कई बार तो ऐसा होता था कि 2-3 घंटे पढ़ने के बाद मुझे ऐसा विषय मिलता कि मैं बच्चों को उसमें से कहानी सुना पाऊँ और इस कारण मेरे ज्ञान का भी विस्तार होना शुरू हो गया। पढ़ने की आदत जो छूट गई थी वह बच्चों के कारण फिर से शुरू हो गई। कई बार मैं व्यस्त होने के कारण ऐसा रोज नहीं कर पाता था मगर बच्चों की रोज की आदत हो गई कि वह सोने जाने से पहले मुझसे पूछते कि आप आज हमें कौन सी कहानी सुनाओगे? इससे यह भी फायदा हुआ कि बच्चों की पुस्तक पढ़ने की रुचि बनी और वह जो समय मोबाइल या टीवी देखने में बिताते थे उस समय में वह किताबें पढ़ने लगे। बच्चों ने अपने विषय के अलावा जो किताबें होती हैं उन्हें पढ़ना शुरू कर दिया। कुछ समय में ही उन्होंनें बहुत सारी पुस्तकें पढ़ ली। मुझे तो इससे बहुत लाभ मिला आप भी अपने घर में यह बदलाव करके देखें निश्चित ही बच्चों की आदतें बदल जाएंगी और आपकी आदतें में भी सुधार आयेगी।
माँ-बाप जो खुद अपना बहुत समय मोबाइल पर बिताते हैं, तो उनका ऐसे मामलों में बच्चों को निर्देश देना बहुत अधिक उपयोग नहीं हो सकता। इससे वे आपको गलत ही समझेंगे| इसलिए फोन का सीमित उपयोग करके आप अपने बच्चों के लिए एक अच्छी आदर्श बनें। यदि आपका पेशा फोन का उपयोग करने की मांग करता हैं तो इसे अपने बच्चों की आंखों से दूर रखे। प्रकृति बच्चों के लिए एक प्राकृतिक औषधि होती हैं। उन्हें हर दिन अपने घर के पास वाले पार्क में खेलने के लिए लेकर जाए| वहाँ पर बच्चें हरियाली का आनंद लेंगे और ताजा भी महसूस करेंगे। पार्क में बच्चे के और दोस्त भी बनेंगे जिससे वो उनसे घुलेगा मिलेगा| आप सभी बच्चों को कुछ शारीरिक खेल भी खिला सकते हैं|
टीवी को अपने बेडरुम की बजाए अपने दूसरे कमरे में लगाएं और बच्चों के सामने मोबाइल फोन का कम उपयोग करें। साथ ही हर समय “नहीं” कहने से बचें क्योंकि बच्चें आमतौर पर उन चीजों को ज्यादा करते हैं जिनकी उन्हें करने की अनुमति नहीं होती। इसलिये अपने बच्चों की दिनचर्या को अपने पसंदीदा कार्टून या किसी भी अन्य चैनल को देखने की योजना बनाएं जो उपयोगी जानकारी देता हो। इस तरह से बच्चे ना तो इनके आदि होंगे और ना ही इन गैजेटस से पूरी तरह से प्रतिबंधित होंगे। सब को संतुलित तरीके से करना चाहिए।

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