प्रियांशु कुमार समस्तीपुर बिहार
समस्तीपुर : जिले में लोक आस्था का पर्व छठ के समापन के साथ ही विभिन्न स्थानों पर भाई – बहन के प्रेम का लोक पर्व सामा – चकेवा शुरू हो गया है। इस पर्व को लेकर गांव – गांव में शाम से देर रात तक सामा – चकेवा के गीत गूंजने लगे हैं। कार्तिक पूर्णिया तक प्रत्येक दिन शाम ढ़लते ही घरों की महिलाएँ सामा – चकेवा की गीत गाती है। उसी दिन विभिन्न नदियों व कई जगह खेतों में सामा – चकेवा की प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है। रक्षाबंधन व भैया दूज की तरह सामा – चकेवा भी भाई – बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक पर्व है। छोटी – छोटी बच्चियों के साथ ही उम्रदराज महिलाएं भी इस पर्व को बड़े ही उल्लास से मनाती है। इस पर्व को मनाने के लिए छोटी छोटी बच्चियाँ व महिलाएं टोली बनाकर मिट्टी के बने सामा – चकेवा की मूर्तियों को डाले में सजाकर रखती है। इसके बाद कार्तिक पूर्णिया तक पूरे विधि – विधान से गीत नाद के साथ सामा – चकेवा खेलकर पर्व मनाते हैं।इस पर्व के माध्यम से बहने अपने भाई की खुशहाल जीवन के लिए मंगल कामना करती है। यह पर्व भाई – बहन के प्रेम और स्नेह को मजबूत करता है। बतादे कि भाई बहन का यह पर्व वारिसनगर ब्लॉक के बेगमपुर, नागरबस्ती, महाराजगंज, हांसा, सतमलपुर, सारी, रामनगर, मथुरापुर, मुसेपुर, झिल्ली चौक, मन्नीपुर, शेखोपुर, मोहीउद्दीनपुर, एकद्वारी, कुसैया, हजपूर्वा आदि गांव में मनाया जाता है। इधर पूछे जाने पर कारीगर नंद किशोर पंडित, अशोक कुमार पंडित आदि ने बताया कि हम लोगों को सामा चाकेवा बनाने में जितना मेंहनत और लागत पड़ता है उसके हिसाब से मजदूरी नहीं मिल पाता है। उन्होंने बताया कि गांव घर में सामा चकेवा मात्र 60, 70 रुपया में बिकता है।