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बिहारसुपौल

पानी की तेज वहाव के कारण मझारी बाँध में कटाव। DM,एवं SP, ने संभाली कमान

रिपोर्ट:-बलराम कुमार सुपौल बिहार

मामला सुपौल जिला के निर्मली प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत डागमरा पंचायत के चुटियाही गाँव के समीप सिकरहट्टा मझारी निम्न बाँध सह सड़क कोसी नदी के तेज वहाव के कारण लगभग 20 फ़ीट टूट जाने की है।
टूटे हुए सड़क से पानी का बहाव काफी तेजी से होकर तिलयुगा नदी में प्रवेश कर रही है।
जिस कारण प्रखंड क्षेत्र के कुनौली, डगमारा, कमलपुर,सोनापुर, दिघीया, हरियाही, मझारी सहित मधुबनी जिला के बगेवा, बनगामा, झिटकी, नरहिया, अन्धरामठ आदि गांवों पर भयंकर बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है। इन गाँवो के लोग अपने और अपने परिवार वालों की जान बचाने के लिए ऊँचे स्थान पर पलायन करना शुरू कर दिया है।
वहीं प्रखंड क्षेत्र के आधा दर्जन से अधिक गाँव के लोग अपने घर को छोड़कर जरूरत की सामान के साथ सुरक्षित स्थल पर भी चले गए है। सुरक्षा बाँध टूटने के कारण निर्मली नगर पर भी बाढ़ का खतरा मंडराने की सम्भावना बन रही है।
हालांकि सुरक्षा बांध टूटने की खबर पर प्रसाशन भी सक्रिय दिख रही है। बाढ़ से प्रभावित इलाके में बचाव कार्य हेतु स्थानीय गोताखोर की टीम को भी तैनात किया गया है।
इधर सुरक्षा बाँध टूटने की सूचना मिलते हीं सुपौल DM,महेंद्र कुमार,एवं SP, मनोज कुमार,ने अपने दल बल एवं गोताखोर की टीम को लेकर स्थिति से निपटने के लिए पहुंच गए हैं।
वहीं DM, महेंद्र कुमार ने बताया की कटाव स्थल का जायजा लिया गया है।
जल्द से जल्द कार्य करने का आदेश दिया गया है।
ताकि कोसी नदी का पानी तिलयुगा नदी में प्रवेश न कर सके।
और बाढ़ का खतरा टल सके।
घटनास्थल का निरीक्षण करते हुए DM,महेंद्र कुमार,ने बताया की करीब-02,-बजे बांध टूटने की सूचना प्राप्त हुई।
सूचना मिलते ही घटनास्थल पर पहुंच निरक्षण किया गया है साथ ही युद्ध स्तर पर बांध को बांधने का काम भी शुरू कर दिया गया है।
वहीं पानी के तेज वहाव के कारण बांध टूटने पर किसकी लापरवाही है। उसके बारे में पूछा गया तो।
उन्होंने स्थिति से निपटने का हवाला
देते हुए उसके बारे में कुछ भी कहने से इनकार कर गए।
वहीं SP, मनोज कुमार,ने बताया की पानी की तेज वहाव के कारण जो बांध कटी उसके लिए इंजीनियर लोग भी पहुंच चुके हैं।
कटे हुए बांध को बांधने के लिए कार्य शुरू कर दी गई है।
जिससे जनता की जान बच सके।
साथ हीं स्थिति से निपटने के लिए गोताखोर टीम के साथ अन्य टीम भी आ चुकी है।
स्थिति से निपटने के लिए हमलोग हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
जिससे जल्द से जल्द सभी को निजात मिल सके।
आखिर सरकार बाढ़ से निपटने के लिए बांध बनाने के लिए करोड़ों अरबों रुपये खर्च करती है।
फिर ऐसा क्यों हुआ।
जिसका खामियाजना जनता को भुगतना पड़ता है।
आखिर इसमें किसकी गलती है।
ठेकेदारों की या प्रशासन की या फिर सरकार की।
आखिर कमी तो किसी न किसी की तो होगी हीं।
अब देखना लाजमी होगा की ऐसी स्थिति उत्पन्न न हो सके।
उसके लिए सरकार या प्रशासन क्या कर रही है।
किस हद तक स्थिति से निपटने के लिए कामयाब होती है।

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