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बिहारभोजपुर

जैविक खेती के लिए उत्पादक संगठन को 94 लाख प्रोत्साहन

आरा सिटी रिपोर्टर रूबी कुमारी

आरा भोजपुर धान के कटोरा के रूप में प्रसिद्ध भोजपुर रबी एवं खरीफ फसल के उत्पादन में राज्य भर में अग्रणी भूमिका निभाता आ रहा है। यहां एक लाख 15 हजार हेक्टेयर में खेती होती है। सोन नहर, राजकीय नलकूप, निजी नलकूप, आहर और तालाब सिचाई के प्रमुख संसाधन है। सरकार किसानों को कम लागत और ज्यादा मुनाफा की खेती के लिए कई योजनाएं संचालित की है। इसमें जैविक खेती, जल-जीवन-हरियाली और सूक्ष्म सिचाई योजना शामिल है। कृषि से जुड़ी विभिन्न मुद्दों पर जिला कृषि पदाधिकारी मनोज कुमार से हमारे संवाददाता युगेश्वर प्रसाद ने बातचीत की। प्रस्तुत है बातचीत का प्रमुख अंश:

सवाल: जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार की क्या योजना है, इसके लिए क्या किया जा रहा है?

जवाब: जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसान उत्पादक संगठन का गठन किया जा रहा है। अब तक जिले में 13 किसान उत्पादक संगठन का गठन किया गया है। प्रत्येक संगठन में 50 से लेकर एक सौ किसान सदस्य शामिल हैं। 1,077 किसानों को प्रोत्साहन राशि के रूप में 94 लाख रुपए का भुगतान प्रथम किस्त के रूप में किया गया है। सब्जी के अलावा रबी फसल में गेहूं, चना, दलहन एवं तेलहन फसल तक की खेती जैविक आधारित करने की योजना है।

सवाल: जल-जीवन- हरियाली के तहत कौन-कौन सी योजनाएं किसानों के लिए संचालित है?

जवाब: इस योजना के तहत जिले के कोईलवर प्रखंड के खेसरहियां पंचायत को मौसम आधारित खेती के लिए चयनित किया गया है। यहां 605 एकड़ में गेहूं, चना, मसूर, आलू, मक्का एवं मूंग का प्रत्यक्षण किया गया है। अत्याधुनिक तकनीक पर आधारित इस खेती के लिए किसानों को सुविधा और संसाधन निश्शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है। इसके अलावा 240 तालाब बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। किसानों को प्रति तालाब पर लगभग 50 हजार रुपए अनुदान दिए जाएंगे। पांच प्रखंडों में सूक्ष्म सिचाई योजना के तहत 638 एकड़ में ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिचाई की योजना लागू की गई है। इसके लिए किसानों से ऑनलाइन आवेदन मांगा गया है।

सवाल: सूक्ष्म सिचाई योजना के तहत किसानों को क्या सुविधा मिलेगी?

जवाब: सूक्ष्म सिचाई योजना के तहत किसानों को ड्रिप एवं स्प्रिंकलर सिचाई के लिए पांच से साढ़े सात एचपी के मोटर के साथ कीट दिए जाएंगे। प्रति एकड़ सिचाई के लिए किसानों को 90 प्रतिशत अनुदान के रूप में लगभग 60 हजार रुपए मिलेंगे। शेष 10 प्रतिशत राशि और 12 प्रतिशत जीएसटी टैक्स किसानों को भुगतान करना पड़ेगा।

सवाल: बढ़ते प्रदूषण के खतरे को देखते हुए सरकार ने खेतों में पराली जलाने पर रोक लगा दी है। किसानों की सुविधा के लिए सरकार की क्या योजना है?

जवाब: खेतों में पराली जलाने पर सरकार की ओर से पूर्णत: रोक लगा दी गई है। पराली जलाने वाले किसानों को सरकार की अनुदान की योजना से वंचित किया जा रहा है। किसानों को खेतों में पराली जलाने की जगह उसे खेत से हटाने के लिए कई तरह के कृषि यंत्रों पर अनुदान दिया जा रहा है। किसान इस यंत्र का लाभ लेकर खेतों में फसल अवशेष अर्थात पराली को आसानी से हटा सकते हैं और उसका उपयोग पशु चारा समेत अन्य चीजों में कर सकते हैं। पराली यंत्रों पर 60 से 70 प्रतिशत अनुदान दिए जा रहे हैं

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